शुक्रवार को ब्रिलियंट कन्वेशन सेंटर मंे आयोजित सम्मेलन के शुभारंभ मौके पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, मप्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और उप्र के खनिज मंत्री, खनिज सचिव अनिल मुकीम, अरूणा शर्मा सहित २२ राज्यों के खनिज अफसर व २० से अधिक कंपनियों के सीईओ, एमडी मौजूद थे। सीइओ कांत ने कहा, माईनिंग सेक्टर में पहली बार इतना बड़ा आयोजन देख रहा हूं। खान मंत्रालय की गिनती मरे हुए मंत्रालय मंे होती थी। इसमें गति देख कर अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया, अगले तीस वर्षों में वर्तमान जीडीपी रेट ७.५ प्रतिशत को ९ से १० प्रतिशत पर ले जाना है। यह मेक इन इंडिया या कृषि से संभव नहीं होगी। माइनिंग इन इंडिया में ही बहुत अधिक संभावनाएं है। वर्तमान में मात्र १५ से १७ प्रतिशत ही खनिज संपदा का दोहन हो रहा है। वर्तमान के हिसाब से देखे तो निर्धारित क्षेत्र का दोहन करने में ६०० साल से भी अधिक समय लग जाएगा। इसलिए जरूरी है, माइनिंग करें। वर्तमान जीडीपी में माईनिंग का हिस्सा १.४ प्रतिशत है। जबकि अफ्रीका में ८, आस्ट्रेलिया में ७ व चाईना में ८ प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसके लिए नीतियों में बदलाव करने की जरूरत है। रायल्टी प्रक्रिया में सुधार लाना होगा। पूरे देश में एक समान नीति बना कर काम करने की जरूरत है। एेसा करेंगे तो आने वाले २०२५ तक इसी सेक्टर से ६० लाख रोजगार मिलने की संभावना है।