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अब पिनहोल सर्जरी के लिए नहीं जाना होगा विदेश, पहली बार बुजुर्ग महिला का वॉल्व हुआ रिप्लेसमेंट

locationइंदौरPublished: Aug 14, 2019 10:53:52 am

वॉल्व लगने के दो दिन बाद महिला को डिस्चार्ज करने की तैयारी
 

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अब पिनहोल सर्जरी के लिए नहीं जाना होगा विदेश, पहली बार बुजुर्ग महिला का वॉल्व हुआ रिप्लेसमेंट

इंदौर. हार्ट के वॉल्व रिप्लेस करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की बजाए प्रदेश में पहली बार 70 वर्षीय महिला की पिनहोल सर्जरी कर सुई से वॉल्व दिल तक पहुंचाया गया। वॉल्व लगने के दो दिन बाद महिला को डिस्चार्ज करने की तैयारी की जा रही है।
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इस तकनीक का नाम ट्रांसकेथर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) है। 70 वर्षीय महिला को गत दिनों निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। पांच साल पहले उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है। एक साल पहले उस वक्त लगा वॉल्व खराब हो गया। कार्डियोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. रोशन राव के पास पहुंची तो उन्हें पता चला कि उसी वॉल्व में दोबारा परेशानी आ रही है और वॉल्व का आकर सिकुड़ रहा है। किडनी, कमजोर दिल, ज्यादा उम्र के साथ अन्य जटिलताओं के कारण फिर ओपन हार्ट सर्जरी संभव नहीं था। डॉ. राव ने बताया, ऐसा बहुत कम केसेस में होता है कि ओपन हार्ट सर्जरी से लगाए नए वॉल्व में दोबारा सिकुडऩ की समस्या होने लगे।
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आमतौर पर ऐसा तभी होता है, जब शरीर का कोई और अंग जैसे किडनी अदि ठीक से काम नहीं कर रहा हो, तब उसका नकारात्मक प्रभाव नए वॉल्व पर देखा जाता है। इस केस में यही हुआ। सीनियर कंसलटेंट डॉ. सरिता राव, डॉ. साई सतीश, डॉ. विकास गुप्ता व डॉ. क्षितिज दुबे ने टीएवीआर एंड टीएवीआई तकनीक का सहारा लेने का निर्णय लिया। परिजन ने कोई रास्ता नहीं होने पर यह विकल्प चुना और सफल सर्जरी सोमवार को की गई।
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पैर की नस से दिल तक पहुंची सुई, वॉल्व फिट कर निकाली

नई तकनीक में नेचुरल टिश्यू से वॉल्व बनाते हैं। इन्हें मेटल सर्जिकल वॉल्व की तरह ज्यादा मात्रा में ब्लड थिनर की आवश्यकता नहीं होती। इससे दोबारा परेशानी की आशंका न के बराबर हो जाती है। इस तकनीक में पैर की आर्टरी (ग्रोइन) में पिन के साइज से कैथेटर (सुईनुमा उपकरण) से वॉल्व को शरीर में डाला जाता है। वॉल्व बैलून की मदद से फिट करने के बाद कैथेटर को निकाला जाता है। इसके बाद नया वॉल्व तुरंत ही काम करना शुरू
कर देता है।
बायपास सर्जरी में कम से कम तीन से चार लाख रुपए खर्च आता है। पिनहोल सर्जरी अब तक दिल्ली व चैन्नई जैसे शहरों में हो रही है। पांच साल पहले आई इस तकनीक से विश्व में पांच लाख ऑपरेशन हो चुके हैं। देश में 350 ऑपरेशन हुए हैं। नई तकनीक से वॉल्व की कीमत ही 15 से 16 लाख रुपए आती है। कुल खर्च 25 से 30 लाख पहुंचता है। मध्य भारत का पहला ऑपरेशन होने से निर्माता कंपनी ने वॉल्व नि:शुल्क मुहैया कराया, जिससे ऑपरेशन चार से पांच लाख के खर्च में हो गया।

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