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कांग्रेस की मीटिंग में बत्ती गुल, मंत्री के फोन पर रात में इंजीनियरों पर गिरी ‘बिजली’, 83 हुए सस्पेंड

कांग्रेस की मीटिंग में बत्ती गुल, मंत्री के फोन पर रात में इंजीनियरों पर गिरी ‘बिजली’, 83 हुए सस्पेंड

इंदौरApr 20, 2019 / 12:05 pm

Pawan Tiwari

jitu patwari

इंदौर. चुनावी मौसम में बिजली कटौती को लेकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बीजेपी के निशाने पर हैं। इंदौर में कांग्रेस की चुनावी मीटिंग में बिजली गुल होना नेताओं को इतना अखरा कि कुछ ही घंटों में बिजली कंपनी के 83 इंजीनियर निलंबित कर दिए गए और 91 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया।
बिजली कटौती के बाद नेताओं को लगा कि कर्मचारी बिजली सरप्लस होने के बावजूद भी सरकार को बदनाम करने के लिए जानबूझकर बिजली गुल कर रहे हैं। वहीं, इस कार्रवाई के बाद इंजीनियर्स ने भी विरोध में मोर्चा खोल दिया है। गांधी भवन में शुक्रवार दोपहर कांग्रेस की बैठक हो रही थी। इसमें प्रदेश के दो मंत्री जीतू पटवारी और सज्जन सिंह वर्मा भी मौजूद थे।
बिजली गुल हुई तो जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव ने कहा कि कुछ लोग सरकार को जानबूझकर बदनाम करने के लिए बिजली की कटौती कर रहे हैं। यदि प्रदेश में बिजली सरप्लस है तो कटौती की क्या आवश्यकता है। इतना सुनते ही मंत्री पटवारी ने प्रशासनिक और बिजली कंपनी के अफसरों को फोन लगाए। उनसे कटौती का कारण पूछा। दोनों ही संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए।
इस पर मंत्री ने बिजली कंपनी के एमडी विकास नरवाल से नाराजगी जताई। रात 9.30 बजे कंपनी कर्मचारियों पर सरकार की बिजली गिर गई।

मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि मैंने बिजली कंपनी के सीएमडी को फोन पर यह कहा था कि जो कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैं, उन्हें क्यों बख्शा जा रहा है। बिजली होने के बाद भी यदि जनता परेशान है तो दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होना चाहिए।
इस एक्शन पर पश्चिम क्षेत्र विद्धुत वितरण कंपनी के सीएमडी विकास नरवाल ने कहा कि बिजली आपूर्ति में लापरवाही कर रहे कंपनी कर्मचारियों की सूची बनवाई गई थी। उन्हें हिदायत दी गई, इसके बाद भी कार्यप्रणाली में सुधार नजर नहीं आया। कर्मचारियों को गर्मी में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश थे। पालन नहीं होने पर कार्रवाई की गई है।
कंपनी के द्वारा की गई कार्रवाई से इंजीनियरों में नाराजगी है। डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के जीके वैष्णव ने कहा कि बिजली कंपनी के इतिहास में पहली बार इस तरह का निर्णय लिया गया है। इसके पहले कभी भी इतनी अधिक संख्या में इंजीनियर्स को निलंबित नहीं किया गया है। कार्रवाई से कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा। सिर्फ कर्मचारी जिम्मेदार कैसे हो सकते हैं।
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