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इंदौर में लिखे गए 90 करोड़ राम नाम

– राम मंदिर निर्माण को लेकर 100 करोड़ का लिया था संकल्प, जल्द ही होगी पूर्णाहुति, तीन साल से चल रहा अभियान, श्रद्धालुओं ने भर दिए हजारों रजिस्टर, आसपास के शहरों के लोग भी हुए शामिल

इंदौरAug 05, 2020 / 11:23 am

Manish Yadav

इंदौर में लिखे गए 90 करोड़ राम नाम

इंदौर में लिखे गए 90 करोड़ राम नाम

इंदौर@मनीष यादव

इंदौर में 100 करोड़ राम नाम लिखे जा रहे हैं। तीन साल से चल रहे इस अभियान में 10 करोड़ के लगभग राम नाम लिखे जा चुके हैं। हजारों रजिस्टर भरे भी जा चुके हैं। राम मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर इसकी शुरुआत की गई, जिसमें शहर के साथ ही आसपास के शहरों के लोग भी शामिल हुए। अब जल्द ही 100 करोड़ का आंकड़ा भी छूने जा रहा है।
राम मंदिर निर्माण को लेकर जुलाई 2017 में राम नाम लिखने की शुरुआत की गई थी। इस अभियान से जुड़े पुरुषार्थ के अध्यक्ष नानूराम कुमावत ने बताया कि अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर अभियान शुरू किया था। इसमें शहर के साथ ही आसपास के लोग भी जुड़ते चले गए और हजारों परिवारों ने निरंतर राम नाम लिखे हंै। सामूहिक राम नाम के आयोजन भी हुए हैं। अभी तक 90 करोड़ से ज्यादा राम नाम लिखे जा चुके हैं। शहर में अलग-अलग स्थानों पर ५०० के लगभग केंद्र बनाए गए हैं। अब राम नाम की पूर्णाहुति प्रारंभ हो गई है। इसके चलते केंद्र पर जो पन्ने रखे हुए हैं। उसमें 5100 राम नाम लिखे जा सकते हैं। अयोध्या में चलने वाली पूजा के दौरान भी राम नाम लिखे जाएंगे। इस तरह जल्द ही 100 करोड़ भी पूरे करने का प्रयास चल रहा है।
इंदौर में लिखे गए 90 करोड़ राम नाम

पहले मंदिरों से शुरुआत

़इसकी शुरुआत के दौरान मंदिरों में राम नाम की फाइलें रखवाई गई थीं। आने वाले श्रृद्धालु नाम लिखते थे। मंदिरों के बाद आसपास जहां पर भी धार्मिक आयोजन किए जाते, वहां पर यह फाइलें दी जाती थीं। इसके बाद परिवार अपने घर ले जाने लगे। कई लोग शहर से बाहर जाते हैं। वह अपने साथ फाइलें लेकर जाने लगे। इस तरह से देश के अलग-अलग हिस्सों से लेकर विदेश तक में जाकर यह फाइलें वापस आई हैं।
हर केंद्र पर संग्रहण
अब काफी संख्या में फाइलें जमा हो गई हैं। जिन्हें अलग-अलग केंद्र बनाए गए हैं। हर केंद्र पर इन्हें इक_ा कर संभालकर रखा जा रहा है। 100 करोड़ राम नाम लिख जाने पर यह प्रयास किया जा रहा है, इन सारी फाइलों को राम मंदिर परिसर में इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए समिति से बात की जा रही है। पहले इसे मंदिर नींव में इस्तेमाल किया जाने को लेकर योजना थी, लेकिन यह तकनीकी तौर पर सही नहीं होने के कारण इसके कहीं और इस्तेमाल करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसे सांकेतिक रूप से ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा।
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