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शहर में 90 हजार कुत्ते, लेकिन नसबंदी सिर्फ 50 हजार की

locationइंदौरPublished: Aug 17, 2019 04:50:17 pm

निगम के दावे पर उठ रहे सवाल,नसबंदी करने के बाद भी कम नहीं हो रही संख्या

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शहर में 90 हजार कुत्ते, लेकिन नसबंदी सिर्फ 50 हजार की

इंदौर.शहर में आवारा कुत्तों की तादाद दिनोदिन बढ़ती जा रही है, जो बड़ी समस्या बन गई है। आए दिन लोग इनके लपकने और काटने का शिकार हो रहे हैं। सबसे ज्यादा बच्चे, महिला और बाइक सवार इनका शिकार हो रहे हैं। यह जानने के बावजूद नगर निगम के जिम्मेदार सिर्फ कुत्तों की नसबंदी करने की बात कहकर अन्य कार्रवाई करने से पल्ला झाड़ लेते हैं। भुगतना आमजन को पड़ रहा है। नसबंदी करने के बाद भी इनकी संख्या कम नहीं हो रही। बारिश के मौसम में तो जगह-जगह इनके झुंड नजर आ रहे हैं।
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निगम अफसरों की मानें तो शहर में 90 हजार के आसपास कुत्ते हैं। इनमें निगम सीमा में शामिल हुए 29 गांवों के कुत्ते भी शामिल हैं। पांच वर्ष में 50 हजार कुत्तों की नसबंदी करने का दावा निगम ने किया है। नसबंदी का काम महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में वर्ष 2014-15 में शुरू हुआ था, जो कि वर्तमान महापौर मालिनी गौड़ के कार्यकाल में भी जारी है। इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं कि जब शहर के आधे कुत्तों की नसबंदी हो गई तो फिर इनकी आबादी कम क्यों नहीं हो रही? इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों की नसबंदी होने के बावजूद कॉलोनी और मोहल्लों में कटे कान के श्वान कम नजर क्यों आते हैं? जो कि नसंबदी किए गए कुत्तों की निशानी है। कुत्तों की नसबंदी करने के साथ निगम एंटी रैबीज का टीका भी लगा रही है। 90 हजार का आंकड़ा आवारा कुत्तों का है। घरों में पल रहे कुत्तों की संख्या अलग है। लोगों का निगम के जिम्मेदारों से एक ही सवाल रहता है कि आवारा कुत्तों के आतंक से हमें छुटकारा कब मिलेगा?
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निगम अफसरों का नसबंदी परिणाम को लेकर तर्क

कुत्तों का आतंक, संख्या कम करने और उनके शिकार से लोगों को बचाने में नाकाम निगम के जिम्मेदार अफसरों का मामले में कहना है कि नसबंदी का असर अभी नहीं दिखेगा। कम से कम 12 से 14 वर्ष लगेंगे। इसके बाद ही कुत्तों की संख्या कम होगी। अफसरों का यह भी तर्क है कि कुत्ते बिना छेड़छाड़ के किसी पर अटैक नहीं करते हैं। कुछ शरारती लोग होते हैं, जो कुत्तों के खाते समय या फिर उनके बच्चे देने के बाद पिल्लों के पास जाते, राह चलते पत्थर मारते और कई बार लोग गाड़ी चढ़ा देते हैं। इस कारण वे आक्रामक हो जाते हैं और लोगों पर अटैक करते हैं। शरारती लोग यह हरकत करके चले जाते हैं और शिकार दूसरे लोगों को होना पड़ता है।
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12 से 14 वर्ष लगेंगे

शहर और 29 गांवों के शामिल होने के बाद इंदौर में कुत्तों की संख्या 90 हजार के आसपास हो गई है। इनमें से तकरीबन 50 हजार की नसबंदी हो गई है। रही बात कुत्तों के आतंक की तो सुप्रीम कोर्ट और पशु प्रेमियों के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकते। वैसे नसबंदी का असर 12 से 14 वर्ष में जरूर नजर आएगा।
डॉ. उत्तम यादव, प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी, कुत्ता नसंबदी
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