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98 साल के बुजुर्ग रोते-रोते पहुंचे कलेक्ट्रेट, बोले- तीन बेटे-बहू फिर भी नहीं देते रोटी, सुनकर हर कोई रो दिया

locationइंदौरPublished: Nov 20, 2019 11:59:17 am

-तीन पुत्र होने के बाद भी दाने-दाने को मोहताज माता-पिता, मदद की गुहार

98 साल के बुजुर्ग रोते-रोते पहुंचे कलेक्ट्रेट, बोले- तीन बेटे-बहू फिर भी नहीं देते रोटी, सुनकर हर कोई रो दिया

98 साल के बुजुर्ग रोते-रोते पहुंचे कलेक्ट्रेट, बोले- तीन बेटे-बहू फिर भी नहीं देते रोटी, सुनकर हर कोई रो दिया

इंदौर. तीन पुत्र और कई पोते-पोतियों के बावजूद 98 साल के बुजुर्ग अब रोटी के लिए मंगलवार को कलेक्टर के दरबार पहुंचने के लिए मजबूर हुए। मोहताज माता-पिता ने अधिकारियों से सिर्फ दोनों टाइम रोटी के लिए गुहार लगाई। बुजुर्ग की आंखों में बेटों-बहुओं की प्रताडऩा को लेकर आंसू थे। न देख सकते और न ठीक से बोल सकते, फिर भी रोटी तक नहीं मिल रही है। उनकी रोटी के लिए गुहार सुनकर अधिकारी भी भावुक हो गए।
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गंगाबाई जोशी नगर में रहने वाले बुजुर्ग मगन प्रजापत और उनकी पत्नी शांतिबाई ने बताया, जब तक हाथ-पैर चलते थे और दिखाई देता था तब तक वेंकटेश मंदिर छत्रीबाग में देखरेख करते थे। अधिक उम्र होने पर अब काम करने की स्थिति में नहीं हैं। इसके चलते भूखा मरने की नौबत आ चुकी है। बागबां फिल्म की तरह बेटे उन्हें रोटी तक के लिए नहीं पूछ रहे हैं। रोटी के लिए जाते हैं तो बहुएं दरवाजा बंद कर लेती हैं। उन्होंने अधिकारियों से सिर्फ दोनों टाइम रोटी के लिए गुहार लगाई। अधिकारियों ने उन्हें 22 नवंबर को बुलाया है।
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अगल रहते हैं पुत्र

पुत्र त्रिलोक, भेरू और रमेश पत्नियों के साथ अलग रहते हैं। बेटों के पुत्र और पोते भी हैं। कई लोग कमाते हैं, लेकिन माता-पिता अलग जगह घर में पड़े रहते हैं। रोटी के नाम पर त्रिलोक 1500 रुपए देता है, लेकिन रोटी बनाने और काम करने की स्थिति नहीं है। जो राशि देते हैं वह बिजली बिल, गैस टंकी और दूध पर खर्च हो जाती है। एक शादीशुदा बेटी किसी तरह मदद करती है।

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