प्रखर बताते है कि हमारा अधिकांश समय लॉकडाउन में मोबाइल चलाने में बितता था, ऐसे में पिता ने सलाद दी कि इस समय का उपयोग कुछ प्रोडक्टिव करने के लिए करें। उसी वक्त घर में हुई एक चर्चा में सामने आया कि कई महिलाएं अपने बिजनेस को प्रमोट करने में परेशानियों का सामना कर रही है और वहीं से हमने इस स्टार्ट अप को शुरू करने का सोचा। शुरूआत में हमने एक माह निशुल्क सेवाएं प्रदान की थी। पहले माह में ही हमे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला, इतना ही नहीं हमने कई महिलाओं को सोशल मीडिया मार्केटिंग का प्रशिक्षण दिया। स्टूडेंट्स के लिए एक अतिरिक्त आय का साधन हो गया वहीं छोटे गृह उद्योगों को सोशल मीडिया मार्केट में अपना स्थान बनाने में सहायता मिली।
वे बताते है, इस स्टार्ट-अप का उद्देश्य धन अर्जित करना नहीं था बल्कि युवाओं को रोजगार का साधन एवं गृह उद्योगों की बाजार में बने रहने में सहायता प्रदान करना था। हमे जो क्लाइंट्स से पैसा मिलता है उसका 90 से 95 प्रतिशत हम अपने यहां कार्य कर रहे इंटर्नस को दे देते हैं और शेष राशि का प्रयोग बिजनेस में होने वाले में खर्च में प्रयोग करते है। कुछ क्लाइंट्स ऐसे भी थे जिन्हे हमने निशुल्क सेवाएं भी प्रदान की है क्योंकि उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वे मार्केटिंग पर खर्च कर सकें।
वे बताते है कि इस स्टार्ट अप से जो धन राशि बचती है उसे हम एकत्रित कर जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में सहयोग प्रदान करेंगे। मैं हमेशा से ही चाहता हूं कि समाज में हर वर्ग शिक्षित हो क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही हम आत्मनिर्भर बन सकते है।
जब मैंने बिजनेस की शुरूआत की थी तो क्लाइंट्स ने मुझे गंभीरता से नहीं लिया। अगर किसी को अप्रोच करते थे तो सुनने को मिलता था कि इतने छोटे हो तुम्हे क्या आता होगा? इतना ही नहीं कई क्लाइंट्स तो मुझसे अपना यूजर नेम और पासवर्ड साझा करने में भी संकोच कर रहे थे लेकिन जब कुछ समय बाद उन्होंने हमारे काम का रिस्पॉन्स देखा तो हमसे लोग जुड़ते गए। अभी हमारी कंपनी से लगभग 30 से अधिक क्लाइंट्स जुड़े हुए है। इस कार्य में मेरी बड़ी बहन भी मेरी सहायता करती है। हमने कार्य उतना ही रखा जितना हम मैनेज कर पाते हैं।