ग्रामीणों ने बताई अलग कहानी इधर ग्रामीणों की माने तो मादा तेंदुए का शव पूरी तरह से सड़ चुका था साथ ही उसके सर में चोट के निशान दिखाई दे रहे थे। लेकिन रेंजर पीएस चौहान द्वारा तेंदुए के शव पर किसी तरह के निशान होने से मना कर दिया गया।
6 फरवरी को भी मिला तेंदुए का शव मानपुर रेंज के उंडवा वनक्षेत्र में 6 फरवरी की सुबह करीब दो वर्षीय माता तेंदुए का शव मिला था। तेंदुए के गले में अन्य प्राणी के नाखून और शरीर पर पंजो के निशान मिले है। वन अफसरों के इस तेंदुए का मौत का कारण टेरेटरी को लेकर हुआ द्वंद्व बताया था। इसके बाद वन अफसरों के साथ तीन वेटनरी डॉक्टरों की टीम ने शव का पीएम और फिर पास में ही शव का जला दिया।
जंगल में नहीं होती गस्त वन परिक्षेत्र में अंधाधुन पेड़ कटाई ,अतिक्रमण और वन्यजीवों के अवैध शिकार के चलते वन्यजीव जंगल में सुरक्षित नहीं है। साथ ही जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारी भी जंगल में गस्ती नहीं करते। कर्मचारी और अधिकारी वन परीक्षेत्र से कोसों दूर मानपुर डिपो में रहते हैं, सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए रेंज में जाकर खानापूर्ति कर देते हैं। इसके चलते भू माफिया-लकड़ी माफिया और अवैध शिकार करने वाले शिकारी खुलेआम जंगल में वन्य संपदा का शोषण करते हैं, वही कुछ दिनों बाद भीषण गर्मी का दौर आएगा, जिसमें वन्यजीवों को जंगल में पानी नहीं मिलेगा और वह रहवासी क्षेत्रों का रुख करेंगे।