अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप बडज़ात्या एवं सरंक्षक कमल रावका ने बताया कि रविवार को पर्व के 10 वें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना हुई। प्रात: जिनेंद्र अभिषेक एवम शांतिधारा सम्पन्न हुई। शांतिधारा का सौभाग्य कुसुम पाटनी परिवार को प्राप्त हुआ। संगीतमय नित्य नियम पूजन, पर्व पूजन एवं वासुपूज्य नाथ भगवान कि पूजन सम्पन्न हुई। इस अवसर पर वासुपूज्य भगवान का निर्वाण महोत्सव भी मनाया। निर्वाण लाड़ू समर्पित करने का पुण्य लाभ नाथू लाल सामरिया परिवार एवं सुरेश मेहता परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन धीरज ठोरा परिवार ने किया। प्रवक्ता दिलीप पाटनी एवं संयोजक महेंद्र निगोत्या ने बताया कि इस अवसर पर मुनिराजों एवं आर्यिका माताओं के मंगल प्रवचन हुए। सभी ने प्रवचन करते हुए कहा कि ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम ज्ञान दर्शन चारित्र संयम और विनय की जड़ है। ब्रह्म का अर्थ है आत्मा और चर्या का मतलब रखना, इस प्रकार ब्रह्मचर्य का मतलब है अपनी आत्मा में रहना। ब्रह्मचर्य का पालन करने से हमे पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त हो सकती है।
उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म अलग है और ब्रह्मचर्य व्रत अलग है। व्रत को धारण किया जाता है जबकि धर्म आत्मा का स्वभाव है
उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म अलग है और ब्रह्मचर्य व्रत अलग है। व्रत को धारण किया जाता है जबकि धर्म आत्मा का स्वभाव है
व्यक्ति की दृष्टि पर ब्रेक होना चाहिए क्योंकि जब दृष्टि पर काबू नही रहता है तो मन मे वासनाएं भडक़ जाती है। भगवान महावीर स्वामी कहते है कि तपस्या में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तपस्या है। दोपहर में तत्वार्थसूत्र का वाचन हुआ। सायंकाल में सामूहिक सामायिक एवम संगीतमय महाआरती का भव्य आयोजन हुआ। सोमवार को सुबह 8 बजे सभी तपस्वियों का भव्य पारणा महोत्सव होगा, दोपहर 2 बजे से रत्नत्रय महामण्डल विधान का आयोजन होगा। बुधवार को प्रात: 8 बजे से सामूहिक क्षमावाणी होगी।