यह है मामला 17 दिसंबर 2006 को उज्जैन के अशोक नगर रेलवे क्रॉसिंग के पास पान की दुकान पर राम उर्फ नीरज की हत्या हुई थी। उसके साथी महेंद्र और राहुल घायल हुए थे। हत्या के लिए पुलिस ने पहले संजय मेहर, मनीष और सुभाष को आरोपी बनाया। बाद में सात अन्य को भी आरोपी बनाया गया। 12 सितंबर 2008 को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तीन आरोपियों को धारा 302 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सात लोगों को बरी कर दिया गया।
पलटा निचली अदालत का फैसला हत्याकांड के बाद पुलिस द्वारा गवाहों के धारा 161 के बयान तीन महीने बाद लिए थे, जिससे जांच में संदेह साबित हुआ।पुलिस द्वारा दर्ज एफआइआर में शामिल कई बिंदु अव्यावहारिक थे।गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास। घटना में मृतक के अलावा दो अन्य घायल ही निचली कोर्ट में पक्षद्रोही हो गए थे। पांच प्रत्यक्षदर्शियों ने भी पुलिस की कहानी का कोर्ट में समर्थन नहीं किया था।