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तहसील से लगे गांवों की स्लैब बनाने से कृषि भूमि की खरीद-बिक्री हो गई बंद

locationइंदौरPublished: Jun 19, 2019 06:35:32 pm

विसंगतियों और कानून का उल्लंघन कर बनाई गाइड लाइन अवैधानिक, 35 से ज्यादा आपत्तियां आईं

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तहसील से लगे गांवों की स्लैब बनाने से कृषि भूमि की खरीद-बिक्री हो गई बंद

इंदौर. पंजीयन विभाग के अफसरों द्वारा आगामी 1 जुलाई से नई गाइड लाइन लागू करने की कवायद को मंत्री और भोपाल विधायक की आपत्ति के बाद झटका लगा है। विभाग ने सभी जिला पंजीयकों को गाइड लाइन बढ़ाने के सबूत ठोस कारणों के साथ मांगे हैं। वाणिज्यिक कर मंत्री ने तो अफसरों को उदाहरण देते हुए कम करने के रास्ते तलाशने के लिए कहा हैं। इस घटनाक्रम के बाद से ही इंदौर में बढ़ाए दामों की समीक्षा शुरू कर दी गई हैं। मंगलवार को गाइड लाइन पर आपत्ति व सुझाव देने के अंतिम दिन 35 से अधिक आपत्तियां दर्ज करवाई गई हैं। इनमें कुछ क्षेत्र व कॉलोनी विशेष की हैं। अधिकांश आपत्तियां विसंगतियों के कारण अधिक स्टांप डयूटी लेने को ले कर हैं।
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एक आपत्ति में तो कृषि भूमि की गणना के लिए बनाए गए स्लैब 4.3 व 4.4 समाप्त करने की मांग की गई हैं, क्योंकि इससे इन ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि की खरीद-बिक्री बंद सी हो गई हैं। वरिष्ठ जिला पंजीयक बीके मोरे का कहना है, आपत्तियों को एक साथ किया जा रहा है। इनकी समीक्षा के बाद इनका निराकरण किया जाएगा। इसके बाद गाइड लाइन में सुधार कर जिला मूंल्यांकन समिति से अंतिम मंजूरी ले कर गाइड लाइन कंेद्रीय मूल्यांकन समिति के पास भेजी जाएगी। गाइड लाइन बढ़ाने को ले कर कांग्रेस सरकार व अफसरों के बीच तनातनी बनी हुई हैं। पार्टी ने तीन साल गाइड लाइन नहीं बढ़ाने का वचन दिया है। इसके बावजूद अफसरों ने पूरे प्रदेश में गाइड लाइन बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी। अभिभाषक प्रमोद द्विवेदी का कहना है, बाजार मूल्य सिंध्दातों का पालन कर गाइड लाइन बनानी चाहिए। इसकी प्रक्रिया को ले कर आपत्ति दर्ज करवाई गई हैं।
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दो कानूनों की विसंगति संपदा में उलझ रही प्रॉपर्टी

देवी प्रसाद शर्मा ने गाइड लाइन की प्रक्रिया के साथ ही कृषि भूमि के उपबंधों की विसंगतियों पर आपत्ति लेते हुए इनमें सुधार के सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया, उपबंध के माध्यम से गणना को सरल व सस्ता किया गया हैं। इनमें जो स्लैब बनाए गए हैं, उनमें स्लैब 3 व 4 का औचित्य नहीं हैं। इन स्लैब में जिन गांवों को शामिल किया गया हैं, वह शहरी सीमा में नहीं हैं। इससे कृषकों को अधिक स्टाम्प ड्यूटी देना पड़ रही हैं। क्योंकि 4.1 व 2 में शहर व पैरी फैरी के सभी गांव शामिल है। इसका परिणाम यह हो रहा हैं, इन गांवों में कृषि भूमि की खरीद-बिक्री प्रभावित हो रही हैं।
अभिभाषक शर्मा ने सुपर बिल्ट-अप और बिल्टअप एरिया के बीच पंजीयन विभाग और रेरा कानून की विसंगति पर भी आपत्ति ली हैं। उनका कहना हैं, संपदा सॉफ्टवेयर बिल्टअप एरिया से ही गणना करता हैं, जबकि रेरा का कानून में इसकी परिभाषा बदल जाती हैं। एेसे में अनावश्यक विवाद होते हैं।
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