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विदेशो में एंबेसडर रहे दीपक बोले हमने अपने दम पर तरक्की की है, दुनिया की कोई ताकत हमें झुका नहीं सकती

locationइंदौरPublished: Nov 18, 2018 12:40:40 pm

लैटिन अमरीकी देशों में एंबेसडर रहे दीपक भोजवानी ने वैष्णव विद्यापीठ में कहा

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विदेशो में एंबेसडर रहे दीपक बोले हमने अपने दम पर तरक्की की है, दुनिया की कोई ताकत हमें झुका नहीं सकती

इंदौर. लैटिन अमरीकी देश विश्व के नक्शे में नजरों से दूर जरूर हैं, लेकिन इनकी महत्ता बहुत ज्यादा है। हम हर साल ३ बिलियन डॉलर का सोना, 10-15 बिलियन डॉलर का क्रूड आयात करते हैं। इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो जैसी कंपनीज ने यहां अपने बेस बनाए हैं, लेकिन हमारे लोगों को पता नहीं है। ब्राजील और भारत की अर्थव्यवस्था में कई समानताएं हैं। जब औपनिवेशीकरण खत्म हुआ तो अफ्रीकन व एशियन देशों का शासन स्थानीय लोगों के हाथ में छोड़ गए, लेकिन लैटिन अमरीकी देशों में अभी भी बाहरी लोगों का ही शासन चल रहा है।
सभ्यता भी बाहरी है। वे लोग स्पेनिश बोलते हैं, लेकिन हमने हिंदी नहीं छोड़ी। सदियों तक अमेरीकी, यूरोपीयन यहां आते गए और बसते चले गए। इन लोगों को विदेशों से मदद मिलती रही। शुरुआत में इन देश खासकर ब्राजील ने काफी तेजी से तरक्की की, लेकिन धीरे-धीरे गर्वनेंस में अंतर आ गया। ब्राजील ३० साल मिलिट्री के कब्जे में रहा। लोकतंत्र स्थापित होने लगा तो नई-नई उलझनों में फंसते गए, इसलिए आर्थिक रूप से ये देश थोड़ा पिछड़ गया, लेकिन हमारे साथ ऐसा नहीं है। हम अपने ही बल पर तरक्की कर रहे हैं। सभ्यता आगे आ रही है। अब दुनिया का कोई देश हमें अपनी शर्तों के हिसाब से झुका नहीं सकता।
सन् 2000 से 2012 तक लैटिन अमरीका के चार देश ब्राजील, कोलबिंया, क्यूबा और वेनेजुएला में एबेंसडर रह चुके दीपक भोजवानी ने यह बात श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय में फिक्की व टाटा के सहयोग से हुए एक सेमिनार में कही। विवि के वाइस चांसलर डॉ. उपिंदर धर ने बताया, एक अभियान के तहत पूर्व एंबेसडर्स अपने अनुभव साझा करने के लिए देशभर में अलग-अलग सेमिनार कर रहे हैं। कार्यक्रम संयोजक श्री वैष्णव प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. राजीव शुक्ला भी मौजूद थे।
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नरसिम्हा राव बोले थे- जब तक 300 करोड़ डॉलर नहीं होंगे, परमाणु परीक्षण नहीं करेंगे
1994 में पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के प्राइवेट सेक्रेटरी रहे भोजवानी ने बताया, पूर्व पीएम राव ने विदेशी ताकतों के दबाव के बावजूद परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए। उन्होंने ही पहली बार देश में दो विदेशी मोबाइल कंपनीज को 100 फीसदी ऑनरशिप दी। उन्होंने कहा था कि देश की तिजोरी में 300 करोड़ डॉलर जब तक नहीं आते, परमाणु परीक्षण नहीं करेंगे। उन्हें पता था कि परीक्षण के बाद आर्थिक प्रतिबंध लगते और हमारी संपत्ति घट जाती।
वाजपेयी ने पैसा जुटाया और परीक्षण किया
इसके तीन साल बाद 1997 में अटल बिहारी वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण कर दिया। दुनिया ने देश को परमाणु शक्ति के तौर पर कबूला, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसके लिए उन्होंने कितनी ताकत दिखाई। परीक्षण के लिए वाजपेयी ने दुनिया में फैली देश की तमाम एबेंसीज से इंडियंस के लिए पार्टी ऑर्गनाइज करने को कहा। हिंदुस्तानियों से कहा, 8 फीसदी में डॉलर का डिपॉजिट करोगे तो पांच साल बाद ये 8 फीसदी आपको रिटर्न कर देंगे। लोगों ने बात मानी और 1997 में 5 बिलियन डॉलर का कलेक्शन हुआ। 1999 में सेकंड परीक्षण किया, जिसके बाद 6 बिलियन डॉलर जुटा लिए।

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