इस तरह हुई शुरुआत
हास्य कवि और नगर परिषद के कमचारी संजय खत्री ने अपने दो साथियों अंकित खत्री और सुभाष मेवाती के साथ मिलकर इस काम की शुरुआत की है। संजय ने बताया कि वह अक्सर ही देखते थे महापुरुषों की प्रतिमाओं पर धूल जमी रहती है, यहां तक की पुराने हार भी कई-कई दिनों तक डले रहते है। यह उन्हें उन महापुरुषों का अपमान लगा। इसी के चलते उन्होंने अपने दोनों साथियों से इस बारे में बात की और यह तय हुआ कि वह तीनों ही बारी-बारी से साफ-सफाई करेंगे और रोजाना प्रतिमा पर मल्यापर्ण करेंगे। चुकी बेटमा में एक मात्र बाबा साहेब की प्रतिमा थी। इसी के चलते उसकी साफ सफाई की योजना बनाई गई।
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जेब से पैसा खर्च कर करते माल्यार्पण
बेटमा के बस स्टेण्ड स्थित चोरहे पर बाबा साहेब की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा स्थल की हर दिन साफ़ सफाई हो रही है। पहले पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण घर से पानी लेकर आया जाता था। अब वहां पर स्थानीय प्रशासन ने नल की व्यवस्था की है। जिस व्यक्ति का भी सफाई के लिए नंबर रहता है। वह अपने पास के रुपयों से ही माला भी खरीदकर लाता है। फिर चाहे उसकी जो भी कीमत हो। यह उस व्यक्ति की आस्था पर निर्भर है। किसी भी प्रकार की कोई बाध्यता नहीं है। इसके लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली जाती।
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जुड़ते चले गए लोग
इसकी शुरुआत तीन लोगों ने की थी। उन्हें रोजाना प्रतिमा स्थल की सफाई करते देख, धीरे-धीर लोग जुड़ते चले गए। अब इस ग्रुप में शिक्षक, डाक्टर, वकील, जनप्रतिनिधि ,व्यापारी सहित २० लोग जुड़ गए है। इसके लिए वाट्सएप्प पर एक ग्रुप बनाया गया है। एक महिने पहले ही तारीख वार सभी के नाम की लिस्ट डाल दी जाती है। उसी अनुसार उस व्यक्ति को अपनी काम करना करना होता है। अगर किसी भी तरह की कोई परेशानी हो और वह व्यक्ति नहीं आ सकता है तो या तो परिवार में किसी को भेजगा। अगर उनका भी आना संभव नहीं हो तो लिस्ट में अगले व्यक्ति को सूचना दे देदी जाती है। वह सफाई व माल्यार्पण करने के बाद उसका फोटो भी ग्रुप में डालता है, ताकी सदस्यों को जानकारी रहे है कि माल्यापर्ण हो रहा है।
आसपास के इलाके में भी अपील
संजय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महापुरुषों की प्रतिमाओं पर सफाई को लेकर मन की बात कार्यक्रम में ने नागरिकों से अपील कर चुके है। वह बेटमा में तो यह कार्यक्रम चला रहे है। इसके साथ ही गौतमपुरा, देपालपुर में भी टीम जाकर वहां के नागरीकों से अपील करती है कि वह अपने यहां पर लगी हुई महापुरुषों की प्रतिमओं का भी इस तरह से ध्यान रखे। तभी प्रतिमा लगाने का सहीं उद्देश्य परा हो सकेगा।