एक लडक़ी के लिए शादी ही सबकुछ नहीं
अब मैं अपने माता-पिता को सुकून भरी जिंदगी देना चाहती हंू। मैं हमेशा से चाहती थी कि वे एक दिन मुझ पर गर्व करें और मैंने यह कर दिखाया। अंकिता ने कहा मेरे छोटे भाई और छोटी बहन की शादी हो चुकी है। भाई रेती मंडी में नौकरी करता है, लेकिन मैं कुछ सालों तक और शादी नहीं करूंगी। अंकिता ने कहा एक लडक़ी के लिए शादी ही सबकुछ नहीं होती है। मेरी सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता को दंूगी, जिन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को कभी मेरी पढ़ाई में कभी आड़े नहीं आने दिया। अंकिता कहती है मम्मी अक्सर परीक्षा के दिनों में मुझे सिर पर थपकी देकर सुलाया करती थी लेकिन एक दिन मां ने मुझे थपकी नहीं दी। मैंने अगले दिन देखा तो उनके हाथों में बहुत से कट लगे हुए थे। दरअसल ठंड के दिनों में सब्जियां धोते वक्त उनके हाथों में कट लग जाते थे।
अब मैं अपने माता-पिता को सुकून भरी जिंदगी देना चाहती हंू। मैं हमेशा से चाहती थी कि वे एक दिन मुझ पर गर्व करें और मैंने यह कर दिखाया। अंकिता ने कहा मेरे छोटे भाई और छोटी बहन की शादी हो चुकी है। भाई रेती मंडी में नौकरी करता है, लेकिन मैं कुछ सालों तक और शादी नहीं करूंगी। अंकिता ने कहा एक लडक़ी के लिए शादी ही सबकुछ नहीं होती है। मेरी सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता को दंूगी, जिन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को कभी मेरी पढ़ाई में कभी आड़े नहीं आने दिया। अंकिता कहती है मम्मी अक्सर परीक्षा के दिनों में मुझे सिर पर थपकी देकर सुलाया करती थी लेकिन एक दिन मां ने मुझे थपकी नहीं दी। मैंने अगले दिन देखा तो उनके हाथों में बहुत से कट लगे हुए थे। दरअसल ठंड के दिनों में सब्जियां धोते वक्त उनके हाथों में कट लग जाते थे।
कोर्ट की ओर देखकर कहती थी एक दिन बनूंगी जज
अंकिता रोजाना मेडिटेशन करती हैं। वो कहती है मैंने अपने टीचर से धैर्य रखना सीखा है और यह मैं मेडिटेशन के जरिए कर पाती है । मुझे लगता है हमें कभी हार नहीं मानना चाहिए। चाहे जो हो जाए मेहनत एक दिन रंग लाती है। अंकिता ने कहा माता-पिता का संघर्ष देख-देखकर मैं 10-10 घंटे तक किताबों में डुबी रहती थी। कॉलेज के सामने ही कोर्ट है इसलिए रोजाना कोर्ट की तरफ देखते हुए निकलती थी और कहती थी एक दिन जज बनकर दिखाऊंगी। अंकिता ने कहा सिविल जज के लिए चयन होने के बाद से ही मेरे पास लगातार कई लॉ के स्टूडेंट्स आ रहे है, जो मुझसे गाइडेंस ले रहे हैं। कई बच्चों ने तो बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन अब वो मुझे देखकर दोबारा लॉ करने वाले हैं।
अंकिता रोजाना मेडिटेशन करती हैं। वो कहती है मैंने अपने टीचर से धैर्य रखना सीखा है और यह मैं मेडिटेशन के जरिए कर पाती है । मुझे लगता है हमें कभी हार नहीं मानना चाहिए। चाहे जो हो जाए मेहनत एक दिन रंग लाती है। अंकिता ने कहा माता-पिता का संघर्ष देख-देखकर मैं 10-10 घंटे तक किताबों में डुबी रहती थी। कॉलेज के सामने ही कोर्ट है इसलिए रोजाना कोर्ट की तरफ देखते हुए निकलती थी और कहती थी एक दिन जज बनकर दिखाऊंगी। अंकिता ने कहा सिविल जज के लिए चयन होने के बाद से ही मेरे पास लगातार कई लॉ के स्टूडेंट्स आ रहे है, जो मुझसे गाइडेंस ले रहे हैं। कई बच्चों ने तो बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन अब वो मुझे देखकर दोबारा लॉ करने वाले हैं।