विजयवर्गीय कुछ दिनों से मध्यप्रदेश की राजनीति में खासे सक्रिय हो गए हैं। भोपाल के राजनीतिक गलियारों में आने-जाने से लेकर मंत्री नरोत्तम मिश्रा से नजदीकी बढ़ाना खासा चर्चा का विषय है। इसके अलावा भी वे उपचुनाव में खासे सक्रिय नजर आ रहे हैं। एक तरफ तो उनके खास समर्थक विधायक रमेश मेंदोला सांवेर विधानसभा के चुनाव प्रभारी हैं तो उसके सहित पांच उपचुनाव पर ध्यान दे रहे हैं।
बदनावर में उन्होंने बागी राजेश अग्रवाल को भाजपा की सदस्यता दिला दी, जिससे पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत भड़क गए। उन्होंने विजयवर्गीय पर आरोपों की झड़ी लगा दी। यहां तक कि विधानसभा चुनाव हरवाने तक का आरोप लगाया।
इधर, विजयवर्गीय की सक्रियता के बाद एक नया समीकरण खड़ा हो गया। सोमवार को शेखावत व कृष्णमुरारी मोघे ने पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन के घर जाकर मुलाकात की। तय किया गया कि विजयवर्गीय के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा। काफी देर मंथन के बाद मोघे वहां से दीनदयाल भवन पहुंचकर संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा से भी मिले तो कल भोपाल भी पहुंच गए।
जहां पर संगठन महामंत्री सुहास भगत सहित कई नेताओं से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि पांच विधानसभा की जिम्मेदारी को लेकर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश चुनाव समिति के १२ सदस्यों में से एक को ही पांच विधानसभा का प्रभार दे दिया गया, वह भी अलग से, बाकी को काम क्यों नहीं दिया गया?
ये भी कर सकते हैं समर्थन इंदौर में विजयवर्गीय के खिलाफ एक बड़ा गुट खड़ा करने की तैयारी है। लगातार बढ़ते हुए हस्तक्षेप को देखते हुए सारे नेता लामबंद हो रहे हैं। उन्हें मालूम है कि अब नहीं रोका तो फिर वे सब पर हावी होने की कोशिश करेंगे। तीनों नेताओं को विधायक मालिनी गौड़, उषा ठाकुर, महेंद्र हार्डिया, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता भी समर्थन कर सकते हैं। उनके साथ जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर भी जा सकते हैं, क्योंकि उनकी भी कभी पटरी नहीं बैठी। इधर, सांसद शंकर लालवानी ने पूरे घटनाक्रम से खुद को दूर कर रखा है।