
कला व कलाकारों ने मिटा दी दूरियां, एक रंग में रंगा दिखा मंच
इंदौर.रविवार को छंदकोत्सव के दूसरे और अंतिम दिन शास्त्रीय नृत्य के अनुरागियों को कई सुंदर नृत्य देखने का मौका मिला। रवींद्र नाट्यगृह में पहले चीन की लेन वी ने कोलकाता की श्रीराधा पाल के साथ युगल नृत्य किया और उसके बाद कथक और कथकलि एक साथ देखने का विरल अनुभव दर्शक कभी नहीं भूल पाएंगे।
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ठेठ दक्षिण के केरल का नृत्य कथकलि और उत्तर भारत का कथक, इन दोनों नृत्यों मे उतनी ही दूरियां हैं जितनी उत्तर और दक्षिण भारत में, लेकिन कला किस तरह से दूरियां मिटा देती है, यह नजर आया जब कथक और कथकलि युगल नृत्य की तरह पेश किए गए। कोलकता के गौतम घोषाल ने केरल के कला मंडलम में कथकलि में प्रवीणता हासिल की और सुदीप चक्रवर्ती ने दिल्ली में कथक सीखा। इन दोनों ने एक नृत्य नाटिका पेश की, जिसे नाम दिया गीतोपदेशम। इसमें कृष्ण बने सुदीप अर्जुन बने गौतम कलामंडलम को युद्ध के लिए प्रेरित करते हैं।
दोनों कलाकारों ने अपनी-अपनी शैलियों को बरकरार रखते हुए आपसी तालमेल दिखाया और इस नाटिका में महाभारत के कई प्रसंग नृत्य के जरिए दिखाए। इसमें कौरव-पांडव का बचपन, द्रौपदी का स्वयंवर, शकुनि की चालें, द्रौपदी का चीरहरण और फिर युद्ध के विनाश को दिखाया। दोनों ने बेहतरीन नृत्य और अभिनय के जरिए दर्शकों को एक अद्भुत अनुभव दिया।
चीन की लेन वी बनीं राधा
चीन की नृत्यांगना लेन वी भुवनेश्वर में रह कर बिचित्रनंद स्वाई से ओडिसी की शिक्षा ले रही हैं। कोलकाता की श्रीराधा पाल भी उन्हीं की शिष्या हैं। इन दोनों ने ओडिसी में युगल नृत्य पेश किया। इन्होंने पहले शंकर वर्णम पल्लवी पेश करते हुए शुद्ध ओडिसी नृत्य किया और फिर अपने गुरु की एक रचना पर बहुत मनमोहक नृत्य किया। एक ओडिसी गीत पर किए इस नृत्य में सखी राधा से कहती है कि वह यमुना तट पर न जाए, क्योंकि वहां कृष्ण मिलेंगे और उनकी बांसुरी सुनकर तुम अपनी सुध-बुध खो बैठोगी। इसमें राधा बार-बार यमुना तट जाने की जिद करती है। राधा के रूप में लेन वी ने दर्शकों को चौंकाया तो श्रीराधा पाल के लयात्मक नृत्य ने तालियां खूब बटोरी।
Published on:
08 Jul 2019 06:35 pm
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