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सावधान – टाइट जींस पिता बनने में बन रही बाधक

locationइंदौरPublished: Jul 18, 2019 11:44:20 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

टाइट जींस पहनना लोगों को पितृत्व सुख से वंचित कर रहा

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सावधान – टाइट जींस पिता बनने में बन रही बाधक

लखन शर्मा@ इंदौर. आजकल युवाओं में चुस्त, चिपकी-कसी हुई जींस पहनने का शौक बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन सावधान… ये फैशन भारी पड़ सकता है। टाइट जींस पहनना लोगों को पितृत्व सुख से वंचित कर रहा है। जननांगों पर इसके कारण पडऩे वाले दबाव से पुरुषों में स्पर्म निर्माण कम हो रहा है। नसों के सर्जन डॉ. अनिल बख्शी ने बताया कि आज से दो दशक पहले के आंकड़े उठाएं तो महिलाओं में बांझपन की समस्या 10 प्रतिशत और पुरुषों में सिर्फ चार प्रतिशत थी, लेकिन आज दोनों समान स्तर 7-7 प्रतिशत पर आ गए हैं। इसका बड़ा कारण हमारा पहनावा भी है।

डॉ. बख्शी बताते हैं कि पहले लोग खुले कपड़े पहनते थे। पायजामा, लुंगी का चलन अधिक था। इसके बाद फॉर्मल पेंट पहनने लगे। अब जींस ज्यादा पहनते हैं। खासकर युवा जो शादी की उम्र में होते हैं और अपने बेहतर भविष्य के सपने संजो रहे होते हैं। जिन युवाओं के सीमन में स्पर्म की मात्रा कम आ रही है, उनमें बड़ा कारण टाइट कपडे पहनने का भी सामने आ रहा है, जिसके कई अलग वैज्ञानिक कारण है। इसके साथ ही लाइफ स्टाइल, अनियमित खान-पान और मोटापा भी स्पर्म कम होने का प्रमुख कारण है।


आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. आशा बख्शी ने महिलाओं में इन्फर्टिलिटी के कारण बताते हुए कहा कि युवाओं में नि:संतानता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बिगड़ी जीवनशैली, जंक फूड का सेवन और नशे की आदत के चलते इन मामलों में बढ़ोतरी हुई है। समय पर प्रेगनेंसी प्लान न होना भी इसका एक कारण है। उन्होंने बताया कि एरा, इक्सी, टीसा, माइक्रोटीसा इन तकनीक के माध्यम अब प्रेगनेंसी संभव है।


डॉ. अनिल बख्शी ने बताया कि इक्सी पद्धति में एक-एक अंडे में सूई की मदद से स्पर्म प्रवेश कराया जाता है। टीसा उन लोगों में किया जाता है, जिनमें स्पर्म नहीं होते। इन दोनों पद्धतियों से ज्यादा असरकारक माइक्रोटीसा है। इसमें माइक्रोस्कोप से 25 गुना मैग्नीफाई करके स्पर्म निकाले जाते हैं। इसके कारण स्पर्म मिलने के चांस बढ़ जाते हैं। शुक्राणुहीनता जैसी समस्याओं से बचा भी जा सकता है, यदि आप खाने-पीने के साथ मोटापा कंट्रोल करें। बीमारियों का उचित इलाज करवाएं। समय पर सहवास और समय रहते प्रेगनेंसी प्लान करें।
डॉ. बख्शी ने बताया कि इन दिनों स्पर्म रिजर्व रखने का चलन बढ़ रहा है। जिन युवाओं को कैंसर हो जाता है, वह कीमो थेरेपी लेने से पहले अपने स्पर्म सुरक्षित रख रहे हैं, क्योंकि कई बार कीमो के बाद स्पर्म बनना बंद हो जाते हैं।

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