वैसे तो निर्वाचन आयोग अब सालभर काम करता है। पहले 1 जनवरी तक 18 साल के होने वाले युवाओं को मतदाता बनाया जाता था लेकिन अब नियम बदल गए। तीन तीन माह की तारीख तय कर दी है, जिसमें बालिग होने वाले नाम जुड़वा सकते हैं। इसके चलते आयोग समय-समय पर अभियान चलाकर मतदाता सूची को शुद्ध करने का काम करता है। इस बार अभियान का विशेष महत्व है, क्योंकि सालभर बाद विधानसभा चुनाव जो होना हैं। 5 जनवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन हो जाएगा, जिसके बाद आंशिक परिवर्तन ही हो पाएगा। तैयार हुई सूची के आधार पर ही चुनाव होंगे।
राज्य निर्वाचन के निर्देशों के चलते जिला निर्वाचन ने 9 नवंबर से बूथों पर चल रहे अभियान में पूरी ताकत लगा रखी है। उसके पहले बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं का वेरिफिकेशन कर चुके हैं, जिसके बाद पूरे जिले से एक लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। बूथ पर चल रहे अभियान में भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। अब तक 85 हजार 212 नव मतदाताओं ने नाम जुड़वाने का आवेदन कर दिया है, जबकि 15 ही दिन हुए हैं। आधा महीना अभी बाकी है। ये आंकड़ा सवा से डेढ़ लाख तक जा सकता है। इसके आधार पर जनसंख्या अनुसार ईपी रेशो भी ठीक हो जाएगा।
भाजपा ने पकड़ा मैदान
जैसे ही एक लाख से अधिक मतदाताओं के नाम उड़े, राजनीतिक दलों के होश उड़ा दिए। सबसे ज्यादा ङ्क्षचता में भाजपा है क्योंकि नगर निगम चुनाव में एक लाख से अधिक मतदाताओं के नाम गायब होने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। वे मान रही है कि सारे मतदाता उनके पक्ष में वोट करने वाले थे। संगठन के आह्वान पर कार्यकर्ता काम पर लगे हुए हैं। बूथों पर लगातार संपर्क करके नाम बढ़ाने में जुटे हुए हैं। हालांकि कई आवेदन निरस्त भी हो रहे हैं।
ये हैं विधानसभा में आवेदन
देपालपुर 8273
एक नंबर 15959
दो नंबर 15445
तीन नंबर 7954
चार नंबर 9624
पांच नंबर 19866
महू 12809
राऊ 15680
सांवेर 8328
(इसमें कुछ आवेदन संशोधन व नाम हटाने के भी हैं।)