२३ नवंबर को देश में योजना का उद्घाटन किया था। योजना में इंदौर के करीब ढाई लाख परिवारों सहित प्रदेश के करीब १.३० करोड़ परिवारों को हर साल 5 लाख तक का नि:शुल्क इलाज दिया जाएगा। इसके लिए गोल्डन पात्र हितग्राहियों के लिए जिला अस्पताल, पीसी सेठी अस्पताल और एमवाय अस्पताल में इलाज के साथ गोल्डन कार्ड बनाने की व्यवस्था की गई है। २४ दिन बीत जाने के बाद भी १०० के करीब ही कार्ड बन पाए हैं। शहर के दो निजी मेडिकल कॉलेज अरबिंदो व इंडेक्स के अलावा कोई अन्य बड़े अस्पताल का इनपेनलमेंट योजना के लिए नहीं हो पाया है। अब तक २१ सरकारी और निजी अस्पताल योजना से जुड़े हैं। निजी अस्पतालों की बात की जाए तो अधिकतर अस्पताल नेत्र रोग से संबंधी हैं। अन्य अस्पताल प्रसूती सहित अन्य ऑपरेशन के लिए तय की गई राशी को काफी कम बताकर दूरी बनाए हुए हैं।
आयुष्मान मित्र को लेकर भी संशय
आयुष्मान मित्र को लेकर भी संशय
सरकार ने इस योजना को शुरू करने से पहले 10 आयुष्मान कार्ड पर एक आयुष्मान मित्र रखने का भी दावा किया था, केन्द्र सरकार ट्रेनिंग के बाद अस्पतालों में मित्र नियुक्त करने की बात कह रही है, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। सरकारी अस्पतालों में १५० से २०० मरीज आयुष्मान योजना कार्ड बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं, स्टाफ या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अस्थायी रूप से जिम्मा दिया है, लेकिन महज एक-दो डाटा एंट्री ऑपरेटर होने से उसे मरीज को भर्ती करने की जानकारी पोर्टल पर डालने और क्लेम के लिए दस्तावेज अपलोड करने के साथ कार्ड बनाने का समय नहीं मिल पा रहा।
अस्पतालों को योजना से जोडऩे के साथ हितग्राहियों के गोल्डन कार्ड बनाने का काम जारी है। पहले रजिस्टर्ड होने वाले अस्पतालों की रिपोर्ट सौंपना थी, लेकिन अब जरूरी दस्तावेज के साथ सीएमएचओ का मत भी मांगा है। २१ अस्पतालों की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। आयुष्मान मित्र भी तैयार किए जा रहे हैं।
डॉ. धर्मेन्द्र जैन, नोडल अधिकारी आयुष्मान योजना इंदौर
डॉ. धर्मेन्द्र जैन, नोडल अधिकारी आयुष्मान योजना इंदौर