मकान मालिक, खरीदारों द्वारा किए गए कारनामों की जानकारी होते हुए भी एडीएम कोर्ट में सरफेसी एक्ट के तहत आवेदन दे कर कब्जा आदेश प्राप्त कर लिया। मामले की पोल उस समय खुली जब तहसीलदार कब्जा दिलाने मौके पर पहुंची और अन्य खरीदार और एफआइआर की प्रति दी गई। एडीएम ने बैंक को फटकार लगाते हुए कब्जा आदेश वापस ले लिया।
मामला कुछ इस तरह है, राजेश व अरुणा गुप्ता ने सुदामा नगर का मकान दो लोगों को अलग-अलग समय में बेच दिया, और एक से एग्रीमेंट कर लिया। एक रजिस्ट्री पति और दूसरी रजिस्ट्री पत्नि द्वारा करवाई गई है। तीनों लोगों के बीच करीब ५-६ साल से विवाद चल रहा है। एडीएम ने आदेश वापस लेने के साथ ही आगे से बैंक को सही दस्तावेज के साथ प्रकरण प्रस्तुत करने की हिदायत भी दी है।
दरअसल, राजेश गुप्ता और अरूणा गुप्ता की मालिकी का सुदामा नगर में मकान है। उन्होंने यह मकान प्रदीप रावल को बेचा। रावल ने मकान की रजिस्ट्री मॉडगेज करके बैंक ऑफ बड़ौदा से ३५ लाख रुपए लोन ले लिया। रावल ने जब किस्तें जमा नहीं कीं तो बैंक ने उन्हें नोटिस दिए, इसके बाद भी राशि जमा नहीं हुई। बैंक अफसरों २०१७ में मकान पर कब्जे के लिए एडीएम अजयदेव शर्मा के समक्ष सरफेसी एक्ट मे प्रकरण दर्ज किया, सुनवाई के बाद मकान का कब्जा बैंक को देने के आदेश दिए गए। इस आदेश के आधार पर बैंक ने तहसीलदार को कब्जा दिलाने के लिए आवेदन किया। तहसीलदार पल्लवी पुराणिक जब मौके पर कब्जा दिलाने के लिए पहुंची तो पता चला, मकान विवादित है। मकान के मूल मालिक पर धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज है, क्योंकि यह मकान एक और व्यक्ति हर्षल कश्यप को
बेचा गया है। वहीं सौरभ गर्ग से मकान बेचने का एग्रीमेंट भी सामने आया।
बेचा गया है। वहीं सौरभ गर्ग से मकान बेचने का एग्रीमेंट भी सामने आया।
ऐसे हुआ घटनाक्रम
हर्षल को पति ने तो प्रदीप को पत्नी ने बेचा मकान जब पीडि़त पक्षों से दस्तावेज बुला कर परीक्षण करवाया गया तो पता चला हर्षल कश्यप को मकान की रजिस्ट्री राजेश गुप्ता ने करवाई।
प्रदीप रावल को करवाई गई रजिस्ट्री की जांच में पता चला, यह राजेश की पत्नि अरुणा गुप्ता ने करवाई।
दोनों ने सौरभ गर्ग से एग्रीमेंट भी किया।
हर्षल गुप्ता ने राजेश गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण भी पुलिस भी दर्ज करवाया, जिसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है। बैंक को इतनी जानकारी होने के बाद भी सरफेसी एक्ट में प्रदीप रावल के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवा कर कब्जे के आदेश भी ले लिए।
हर्षल को पति ने तो प्रदीप को पत्नी ने बेचा मकान जब पीडि़त पक्षों से दस्तावेज बुला कर परीक्षण करवाया गया तो पता चला हर्षल कश्यप को मकान की रजिस्ट्री राजेश गुप्ता ने करवाई।
प्रदीप रावल को करवाई गई रजिस्ट्री की जांच में पता चला, यह राजेश की पत्नि अरुणा गुप्ता ने करवाई।
दोनों ने सौरभ गर्ग से एग्रीमेंट भी किया।
हर्षल गुप्ता ने राजेश गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण भी पुलिस भी दर्ज करवाया, जिसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है। बैंक को इतनी जानकारी होने के बाद भी सरफेसी एक्ट में प्रदीप रावल के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवा कर कब्जे के आदेश भी ले लिए।