यूनिवर्सिटी में हर माह ऐसे सैकड़ों वेरिफिकेशन होते हैं। पासआउट छात्र मोहनीश डावरे के दस्तावेज बेंगलूरु की कंपनी ने यूनिवर्सिटी भेजे। ये छात्र कंपनी में नौकरी कर रहा है। छात्र की डिग्री 7 जून 2013 को जारी होना बताई गई। अधिकारियों ने रिकॉर्ड निकाला तो मालूम हुआ कि ये डिग्री जारी ही नहीं हुई है। डिग्री फर्जी मिलने पर अंकसूची पर भी शंका जताई गई और माना गया कि छात्र फेल हुआ होगा और उसने कंप्यूटर की मदद से फर्जी डिग्री के साथ अंकसूची भी बनवाई होगी, लेकिन सच्चाई जानकर अधिकारी हैरान रह गए। छात्र की अंकसूची असली है। उसने 5.79 सीजीपीए स्कोर किया। अधिकारी भी इस बात से हैरान हैं कि छात्र ने फर्जी क्यों बनवाई?
कंपनी को भेजी जानकारी
असिस्टेंट रजिस्ट्रार विष्णु मिश्रा ने बताया, बेंगलूरु की निजी कंपनी ने वेरिफिकेशन के लिए अंकसूची और डिग्री भेजी थी। अंकसूची सही निकली, लेकिन डिग्री यूनिवर्सिटी से जारी नहीं हुई है। हमने कंपनी को इसकी जानकारी दे दी है। छात्र यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी कर चुका है, इसलिए अब कंपनी ही उस पर कार्रवाई कर सकती है।