खजराना में रोड स्थित रंगला पंजाब ढाबा इन दिनों लोगो की खासी पसंद बना हुआ है. यहाँ लोग सपरिवार पहुच रहे है. इसका प्रमुख कारण यहाँ मिलने वाला हेल्दी खाना है जो सीधे आपको पंजाब के खानपान की संस्कृति और टेस्ट से रूबरू करवाता है. यहाँ बन्ने वाले अधिकांश व्यंजन देसी घी में ही बनाए जाते हैं, जिसका स्वाद बेमिसाल होता है. पंजाबी टेस्ट के लिए इन्हें बनाने वाले सेफ भी पंजाब से बुलवाए गए हैं. यहाँ मिलने वाले कई व्यंजन इसे हैं जो इस स्वाद में आपको सिर्फ यही मिलेंगे. यहाँ पंजाबी अंदाज में बन्ने वाली दाल मखानी का टेस्ट लाजवाब है जिसे मक्खन के साथ सर्व किया जाता है. पापड़ की तरह यहाँ जो मक्के की रोटी मिलती है वह भी शायद आपको और कहीं न मिले.
पंजाबी ढाबे का मिलता है माहोल रेस्टोरेंट के दौर में ६ माह पहले खुले इस ढाबे को आम लोगों द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है. दरअसल पंजाब में रेस्टोरेंट से ज्यादा ढाबों को लोग पसंद करते हैं क्यूंकि ढाबों पर ही असल स्वाद मिलता है. रेस्टोरेंट संचालक विशी खनुजा और गिरीश पांचाल बताते हैं की इंदौर में लोग खानपान के शौकीन है इसे ही लोग पंजाब में भी है. शहर में कही भी अच्छा ढाबा नहीं था हम खुद भी खाने के शौकीन है. इसे में जब भी ढाबे पर खाना हो सपना ही रह जाता था इसे में हमने ही इसकी शुरुआत की. करीब ६ माह पहले इसे शुरू किया गया और आज हर दिन हमारे यहाँ ढेरों मेहमान आ रहे है. यहाँ खाने के साथ ही आने वाले मेहमानों को पंजाबी माहोल भी मिलता है. हमने खाने के साथ ही यहाँ के इंटीरियर पर भी काफी
ध्यान दिया और ढाबा पूरा पंजाब की तरह बनाया. पंजाब में इस तारह के ढाबे आम है लेकिन शहर में आपको यह कहीं नहीं मिलेगा. हमारे यहाँ मिलने वाले सभी व्यंजन किसी भी तरह से स्वस्थ पर कोई बुरा असर नहीं डालते. असली मसलों के साथ सब्जियों को पकाया जाता है.
पनीर की सब्जी हो या कोई भी सीजनल वेज यहाँ आपको उनमे पंजाबी स्वाद मिलता है. सफ़ेद मक्खन का इस्तमाल हमारे अलावा कोई नहीं करता.
– तंदूरी मोम़ोज की भी की थी शुरुआत ढाबा संचालक विशी बताते हैं की इंदौर में उन्होंने ही २००८ में तंदूरी मोमोज की शुरुआत की थी. मुंबई और इंदौर में उन्होंने मोमोज स्टेशन के नाम से यह मोमोज की चैन शुरू की थी जो आज भी सफल है. शहर में वेज और नानवेज मोमोज तो कई जगह मिलते थे लेकिन तंदूरी मोमोज और उनमे अलग अलग टेस्ट मेरे ही द्वारा शुरू किया गया. यहाँ ढाबे पर भी कई बार किचन खुद ही संभलते हैं. खाने के साथ पकाने का शौक भी है और खिलने का भी. इसी के चलते लोग हमारे यहाँ के व्यंजनों को पसंद कर रहे हैं.