इन्दौर। हमारे कर्मों का फल हमें ही भुगतना है, पाप और पुण्य हस्तांतरणीय नहीं है। जैसे कर्म होंगे, फल भी वैसे ही मिलेंगे। संगे-सम्बंधी भी साथ नहीं देते। न हम कर्म से बच सकते हैं, न उसके फल से। हमें जो कुछ मिल रहा है वह भगवान की कृपा और करूणा का ही नतीजा है, इसलिए कर्मों की श्रेष्ठता को सबसे ऊपर रखा गया है। राम और कृष्ण के बिना न तो हमारी संस्कृति परिपूर्ण हो सकती है और न ही इस भारत भूमि की कल्पना।
सोमवार को स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने नृसिंह वाटिका में चल रहे संगीतमय भागवत ज्ञानयज्ञ के चतुर्थ दिवस उपस्थित भक्तों को गजेंद्र मोक्ष, समुंद्र मंथन, राम एवं कृष्ण जन्म सहित विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। कथा में संध्या को भगवान राम एवं कृष्ण के जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाए गए। जैसे ही कृष्ण जन्म हुआ नंद में आनंद भयो…और हाथी घोड़ा पालकी…जैसे भजनों पर कथा पांडाल थिरक उठा। माखन मिश्री और बच्चों के लिए प्रसाद का वितरण भी हुआ। कथा श्रवण के लिए नृसिंह वाटिका में भक्तों का सैलाब उमडऩे लगा है। कश्मीर स्थित विभिन्न आश्रमों के साधु.संत भी बड़ी संख्या में इंदौर आए हैं। मंगलवार को भगवान की बाललीला, माखन लीला एवं गोवर्धन पूजा होगी।
सोमवार को स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने नृसिंह वाटिका में चल रहे संगीतमय भागवत ज्ञानयज्ञ के चतुर्थ दिवस उपस्थित भक्तों को गजेंद्र मोक्ष, समुंद्र मंथन, राम एवं कृष्ण जन्म सहित विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। कथा में संध्या को भगवान राम एवं कृष्ण के जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाए गए। जैसे ही कृष्ण जन्म हुआ नंद में आनंद भयो…और हाथी घोड़ा पालकी…जैसे भजनों पर कथा पांडाल थिरक उठा। माखन मिश्री और बच्चों के लिए प्रसाद का वितरण भी हुआ। कथा श्रवण के लिए नृसिंह वाटिका में भक्तों का सैलाब उमडऩे लगा है। कश्मीर स्थित विभिन्न आश्रमों के साधु.संत भी बड़ी संख्या में इंदौर आए हैं। मंगलवार को भगवान की बाललीला, माखन लीला एवं गोवर्धन पूजा होगी।