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जीवन को उत्सव बताने वाले भय्यू महाराज के सोशल मीडिया पर ऐसे थे विचार,फिर कैसे लिया आत्महत्या का निर्णय ?

locationइंदौरPublished: Jun 12, 2018 07:26:04 pm

Submitted by:

amit mandloi

फेसबुक ट्विटर और वाट्सप्प पर अलग ही थे विचार, जीवन जीने का सिखाते रहे मंत्र

bhayyu maharaj dead

जीवन को उत्सव बताने वाले भय्यू महाराज के सोशल मीडिया पर ऐसे थे विचार,फिर कैसे लिया आत्महत्या का निर्णय ?

इंदौर.राष्ट्रीय संत रह चुके भय्यू महाराज ने मंगलवार को दोपहर 12.15 बजे अपने ही घर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक भय्यू महाराज ने खुद को घर में गोली मारी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। जब उन्हें अस्पताल लाया गया तब तक वे मृत अवस्था में थे। घटना होने के तुरंत बाद ही उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल लेकर आए थे। वैसे तो उन्होंने अपने सुसाइड नोट में आखिरी वाक्य लिखा है –“somebody should be there to handle duties of family..i am leaving to much stressed out,fed up…”,लेकिन वास्तव में यदि उनके फेसबुक और ट्विटर अकॉउंट को खंगाला जाए तो आश्चर्य होगा कि हर सुबह इन विचारों कजे साथ दिन शुरू करने वाला शख्स आखिर आत्महत्या जैसा कदम कैसे उठा सकता है ? आइये आपको बताते हैं कि सोशल मीडिया पर क्या थे भय्यू महाराज के विचार…
मौत से मात्र 3 दिन पहले भय्यू महाराज ने ट्वीट किया कि जीवन एक उत्सव की तरह है,अगर आप निराश हैं तो उसका कोई मूल्य नहीं,और यदि आप आशावादी है तो वह आपके लिए बहुमूल्य है। 9 जून को ऐसे विचार दूसरों तक पहुंचाने वाले भय्यू महाराज के दिमाग में ऐसा क्या आया कि इस उत्सव को मनाने की बजाय उन्होंने इसे बीच में ही छोड़ देना सही समझा।
6 जून को उन्होंने लिखा कि “प्रारम्भ है तो अंत भी है,महत्वपूर्ण यह है कि इन दोनों के बीच में हम क्या करते हैं”

29 मई– “जीवन अच्छे विचारों के आदान-प्रदान के लिए है। दुःख में सुख खोजने का काम ही जीवन है।”
23 मई– “अगर रास्ता भटक गए तो आपकी उम्मीद ही आपका रास्ता है।”

5 मई– “जब हम अपने उत्तर स्वयं खोज लेते हैं,उसे अध्यात्म कहते हैं।”

18 अप्रैल– ” जब आप कोई निर्णय लेते हैं तो ब्रह्माण्ड उसे सच करने की कोशिश करता है।”
16 अप्रैल– “आत्मा की ऊर्जा जो व्यक्ति जान लेता है,वह अपनी दृष्टि में परिवर्तन कर लेता है।”

11 अप्रैल– “सामान्य व्यक्ति तो सिर्फ इतना जानता है,कि मनुष्य के शरीर में एक ऐसी शक्ति अवश्य है,जिसके निकल जाने पर व्यक्ति शव हो जाता है।”
4 अप्रैल– “जैसे ही भय आपके करीब आए ,उस पल स्वयं को निडर कर उसे नष्ट कर दीजिए।”

ऐसे विचारों को फेसबुक,ट्विटर और वाट्सएप्प पर साझा करने वाले भय्यू महाराज अचानक इस तरह का कदम उठा सकते हैं ये किसी ने सोचा भी नहीं था। इन विचारों को वे रोज लिखते थे और जिस वक़्त वे इन विचारों को लिख रहे होते थे,उस वक़्त भी वे डिप्रेशन के शिकार थे। जब आत्मबोध और जीवन की सार्थकता का अंदाज़ा था,ऐसे में आत्महत्या कर जीवनलीला समाप्त कर लेने का निर्णय दोहरी मानसिकता का परिचय देता है।
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