64 सालों से नियम में है भिक्षावृत्ति रोकना का, आज तक नहीं बना विभाग
भिखारियों को सजा दिलाने का भी है प्रावधान

इंदौर. शहर में भिक्षावृत्ति न हो इसकी जिम्मेदारी नगर निगम की है। ये जिम्मेदारी 64 साल पहले बने मप्र नगर पालिक अधिनियम के तहत नगर निगम को दी गई है, लेकिन ६४ साल में भी शहर में भिक्षावृत्ति को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम ने कोई काम नहीं किया। यहां तक की इसके लिए कोई विभाग या अधिकारी की नियुक्ति तक नहीं की गई।
उल्टा शहर से भिक्षुकों के नाम पर निराश्रित वृद्धों को जानवरों के समान गाड़ी में भरकर शहर से बाहर खुले में छोडऩे का काम करने वाली नगर निगम अब केंद्र सरकार की भिक्षुक पुनर्वास योजना के तहत ८.५० करोड़ की योजना जरूर बना रही है। ऐसे में जब अपने ही नियमों का जो निगम पालन नहीं करवा पाई वो केंद्र सरकार की योजना का पालन कैसे करवा पाएगी, इसको लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
मप्र नगर पालिक अधिनियम १९५६ के तहत भिखारियों के लिए एक पूरा अध्याय रखा गया है। एक्ट का ३१वां अध्याय भिखारियों के लिए ही है। इसमें भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए धारा ३५९, ३६० और ३६१ तय की गई है। शहर में भिक्षावृत्ति को रोकने और भिक्षावृत्ति करने वालों को सजा, और उनके पुनर्वास की पूरी व्यवस्था एक्ट की इन धाराओं में हैं। इसी एक्ट में तय किया गया है कि भिक्षावृत्ति करने वालों को पकडक़र निगम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा, जहां से वो एक्ट के मुताबिक इसके लिए सजा तय करेंगे। लेकिन आज तक नगर निगम ने एक भी भिखारी को न तो पकड़ा न ही कभी मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया। हालत ये है कि एक्ट में जिसके लिए पूरी व्यवस्था है वो विभाग तक नगर निगम ने नहीं बनाया। यहां तक की इसको लेकर कोई भी अधिकारी को भी काम नहीं सौंपा गया।
सालभर में भी नहीं कर पाए भिखारियों की गिनती
इंदौर को देश के 10 भिक्षुक मुक्त शहरों में शामिल किए जाने के बाद इसकी कार्ययोजना पर काम शुरू किया गया था। इसके लिए निगम ने शहर में मौजूद भिखारियों का सर्वे काम शुरू करवाया था। दो माह में निगम के अमले के साथ मिलकर ये पूरा सर्वे होना था, लेकिन सालभर का समय बीतने के बाद भी ये सर्वे आज तक पूरा नहीं हो पाया है।
निगम के अधिकारी समाज कल्याण विभाग के भरोसे
एक्ट में प्रावधान होने के बाद भी नगर निगम ने आज तक इस संबंध में कोई काम नहीं किया। न ही इसके लिए कोई योजना बनाई। नगर निगम के अधिकारी भिक्षावृत्ति के मामले में समाज कल्याण विभाग के भरोसे ही रहते हैं। अफसर आज भी समाज कल्याण विभाग के द्वारा इस पर काम किए जाने की बात कर रहे हैं। समाज कल्याण विभाग की योजना के तहत ही भिखारियों के पुर्नवास का काम निगम करता रहा है।
भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए करेंगे कार्य
अब हम पूरी कार्ययोजना के साथ काम कर रहे हैं। अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए कार्य करेंगे।
-शृंगार श्रीवास्तव, अपर आयुक्त, नगर निगम
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