सबसे खास बात यह है कि इस रिसर्च का पेटेंट भी करा लिया गया है. इस फिंगरप्रिंट बायोमीट्रिक सिस्टम में अंगुली रखते ही स्कैनर उसके दिल की धड़कन को भी पढ़ लेगा. इससे मृत व्यक्ति का फिंगर प्रिंट इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.

प्रोफेसर विमल भाटिया और आइआटी के प्रोफेसर शशिप्रकाश ने बताया कि फिंगर प्रिंट से जुड़ी धोखाधड़ी रोकने के लिए यह बड़ी सफलता है. इस बायोमीट्रिक सिस्टम को बनाने के लिए दोनों संस्थाओं ने मिलकर काम किया. इस रिसर्च का उपयोग कर बनाई गई बायोमीट्रिक मशीनों से मृत व्यक्ति और नकली फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा. गौरतलब है कि आजकल दफ्तरों और घरों में भी चोरी रोकने के लिए बायोमीट्रिक सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है. कई परीक्षाओं में भी परीक्षार्थियों के फिंगर प्रिंट बायोमीट्रिक मशीन से लिए जाते हैं.
नकली या मृत व्यक्ति के फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल रोकने के लिए यह तकनीक बहुत मददगार साबित होगी. नकली फिंगर प्रिंट का उपयोग रजिस्ट्री में किए जाने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है. फिलहाल उपयोग की जा रही बायोमीट्रिक मशीनें केवल फिंगर प्रिंट को पढ़ती हैं, लेकिन नई मशीन फिंगर प्रिंट पढ़ने के साथ पल्स के साथ ब्लड के सेल को भी पता करेगी.