कल दीनदयाल भवन में संभागीय संगठन मंत्री जयपाल सिंह चावड़ा व नगर अध्यक्ष गोपी नेमा ने शहर के मंडल अध्यक्षों की बैठक बुलाई थी। शुरुआत में चावड़ा ने चर्चा में किसान आक्रोश आंदोलन के फ्लॉप होने पर समीक्षा की। पूछा गया कि आखिर क्या कारण रहा, जो इतनी कम संख्या पहुंची। सभी से उनके क्षेत्र से आए कार्यकर्ताओं की जानकारी ली गई। एक का कहना था कि खेती का समय चल रहा है और किसान बुआई करने की तैयारी कर रहे हैं।
इधर, शहरी क्षेत्र के मंडल अध्यक्षों का कहना था कि उन्होंने तो सूचना दे दी थी, फिर भी लोग नहीं पहुंचे। किसी ने जनप्रतिनिधियों पर संख्या नहीं जुटाने का ठीकरा फोड़ा। आंदोलन की समीक्षा के बाद चावड़ा मूल मुद्दे पर आ गए। कहना था कि अयोध्या फैसले को लेकर क्या करना है? ये सुनकर मंडल अध्यक्षों ने अपनी राय देना शुरू कर दी। एक ने पूछ लिया, फैसला विरोध में आया तो क्या करेंगे?
इस पर चावड़ा का कहना था कि हमारी प्राथमिकता और जवाबदारी है कि फैसला कुछ भी आए सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहना चाहिए। कोई प्रतिक्रिया जाहिर करने की आवश्यकता नहीं है। वैसे भी प्रशासन ने धारा १४४ लगा रखी है। प्रतिबंध में ऐसी कोई हरकत नहीं करना, जिससे संगठन कठघरे में खड़ा हो। हमें हमेशा शांति बनाए रखना है। किसी भी उत्साहीलाल ने हरकत की तो बख्शा नहीं जाएगा।
अभी तक तो है उम्र का बंधन
बैठक के दौरान गांधी संकल्प यात्रा के भी सुपर फ्लॉप होने का कारण पूछा गया। इस पर कार्यकर्ताओं का कहना था कि त्योहार का समय था, इसलिए जवाबदार समय नहीं दे पाए। इस पर एक मंडल अध्यक्ष ने पूछ लिया कि साहब मंडल अध्यक्ष की उम्र को लेकर जो नियम आया है, उसका क्या हुआ? क्या ३५ साल वाले ही मंडल अध्यक्ष बनेंगे, बाकी सब दौड़ से बाहर हो गए। इस पर चावड़ा ने साफ कर दिया कि अब तक तो यही निर्देश हैं, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया।
बैठक के दौरान गांधी संकल्प यात्रा के भी सुपर फ्लॉप होने का कारण पूछा गया। इस पर कार्यकर्ताओं का कहना था कि त्योहार का समय था, इसलिए जवाबदार समय नहीं दे पाए। इस पर एक मंडल अध्यक्ष ने पूछ लिया कि साहब मंडल अध्यक्ष की उम्र को लेकर जो नियम आया है, उसका क्या हुआ? क्या ३५ साल वाले ही मंडल अध्यक्ष बनेंगे, बाकी सब दौड़ से बाहर हो गए। इस पर चावड़ा ने साफ कर दिया कि अब तक तो यही निर्देश हैं, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया।