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लोकसभा चुनाव 2019 : दो दिन पहले हो गए थे फ्री, पर इंदौर नहीं आए कैलाश

locationइंदौरPublished: May 20, 2019 10:55:51 am

Submitted by:

Mohit Panchal

इंदौर लोकसभा सीट से दूरी बनाने पर खड़े हुए सवाल, वोट डालने के बाद भी नहीं घूमें कहीं

kelash vijayvargiya

दो दिन पहले हो गए थे फ्री, पर इंदौर नहीं आए कैलाश

इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की इंदौर से बेरुखी किसी को हजम नहीं हो रही है। प्रचार थमने के बाद में वे फ्री होकर दिल्ली पहुंच गए थे, लेकिन इंदौर नहीं लौटे। मतदान के एक दिन पहले शाम को लौटे तो भी कहीं नहीं गए। वहीं मतदान के बाद अपने बेटे की विधानसभा में भी नहीं पहुंचे, जिसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी से उनके मधुर संबंध होने की वजह से उन्होंने दूरी बना ली थी।
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के चुनाव लडऩे से इनकार करने के बाद में इंदौर से सबसे बड़े दावेदार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय थे। हालांकि पार्टी ने उन्हें साफ कर दिया था कि बंगाल में उनकी आवश्यकता ज्यादा है। पार्टी से रेड सिग्नल मिलने के बाद विजयवर्गीय ने भी टिकट घोषित होने के ऐन वक्त पर ट्वीट करके चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर दी थी। उसके बाद से विजयवर्गीय लगातार बंगाल में लगे रहे सिर्फ भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी का नामांकन दाखिल कराने इंदौर आए थे।
पार्टी को आशा थी कि १७ मई को प्रचार बंद होने के बाद में विजयवर्गीय बंगाल से इंदौर आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वे बंगाल से दिल्ली पहुंच गए, जहां से १८ मई को शाम को इंदौर लौट आए। आने के बाद उन्होंने किसी से मेल-मुलाकात नहीं की और न ही लालवानी के समर्थन में किसी से मिलने जुलने पहुंचे। यहां तक कि बड़ी संख्या में शादियां थीं, जहां पर भी वे नजर नहीं आए। कल परिवार के साथ मतदान करने निकले, जिसके बाद भी वे कार्यकर्ताओं की हौसला आफजाई करने के लिए लोकसभा क्षेत्र में नहीं घूमे। विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से अपने बेटे आकाश के लिए तीन नंबर की गलियों में घूमे थे, इस बार तो वे वहां भी नहीं गए।
कहीं संबंध तो नहीं आ गए आड़े…
१९८३ के बाद ये ऐसा लोकसभा का चुनाव है, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय ने कोई भूमिका नहीं निभाई। २००८ तक तो वे दो नंबर विधानसभा के विधायक थे, उसके बाद महू के विधायक के साथ मंत्री भी रहे, जिसकी वजह से इंदौर के चुनाव में उनका खासा हस्तक्षेप रहा।
इस बार राजनीतिक कद बढऩे की वजह से बंगाल की जवाबदारी जरूर थी, लेकिन इंदौर के प्रति वे भी जवाबदेही हैं। चर्चा ये भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी से उनके अच्छे संबंध हैं, जिसकी वजह से उन्होंने दूरी बना ली। आखिरी समय में भी वे नहीं निकले।
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