दो नंबरी टीम रही नदारद
विधायक रमेश मेंदोला को पार्टी ने लोकसभा प्रभारी बनाया था, लेकिन शंकर के लोगों का कहना है टिकट होने के बाद से ही उन्होंने सक्रीयता कम कर ली थी। उनके अलावा विधानसभा दो के पार्षद और नेता भी सक्रीय नहीं रहे। उनके क्षेत्र में जनसंपर्क की कमान भी लालवानी के करीबियों की ही संभालनी पड़ी। पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के इंदौर ग्रामीण क्षेत्रों में दो रोड शो प्लान किए थे, लेकिन वे नहीं आए। बंगाल चुनाव का प्रचार खत्म होने के बावजूद आखिरी के दो दिनों में उन्होंने इंदौर में कई काम नहीं किया।
चार नंबर ने भी साथ छोड़ा महापौर और विधायक मालिनी गौड़ का भी शंकर को पूरा साथ नहीं मिला। प्रचार के आखिरी दिन शिवराज सिंह चौहान के रोड शो में जरूरर उनकी टीम ने सक्रीय रही बाकी दिनों में औपचारिकता करने की बात शंकर के करीबी कह रहे हैं। मतदान के दिन भाजपा के गढ़ में ही कई जगह भाजपा की टेबलें बूथ के आसपास नहीं दिखी। इसके अलावा नगर अध्यक्ष गोपी नेमा के प्रयासों से शंकर संतुष्ट नहीं है। करीबियों के सामने वे नाराजगी जता चुके है। इसके अलावा टिकट के दावेदार भंवरसिंह शेखावत, कृष्णमुरारी मौघे के अलावा जीतू जिराती, राजेश सोनकर, विधायक आकाश विजयवर्गीय, और सुदर्शन गुप्ता ने शंकर के लिए कुछ खास काम नहीं किया।
सत्तन, बाबा और सावन ने की मदद ताई के टिकट का खुलकर विरोध करने वाले सत्यनारायण सत्तन, विधायक महेंद्र हार्डिया, उषा ठाकुर, सांवेर के सावन सोनकर, राऊ से दिनेश मल्हार, घनश्याम शेर, प्रेम पटेल, मनोज पटेल, मुकेश राजावात, वैभव शुक्ला, बबलू शर्मा और कमल शर्मा सहित शंकर की पुरानी टीम पूरे चुनाव में सक्रीय रही। इसके अलावा उनकी व्यक्तिगत टीम में शामिल सतीश शर्मा, कपिल जैन, विशाल गिदवानी, संकल्प वर्मा, परिक्षित तिवारी और रितेश पाटनी ने जमीनी काम संभाला।