एक समय था जब प्रदेश में 40 लोकसभा और 320 विधानसभा होती थी। उस समय पर मोघे भाजपा के संगठन महामंत्री थे। वे सांसद व विधायकों के टिकट तय करते थे। देखा जाए तो वे अविभाज्य मध्यप्रदेश के आखिरी संगठन महामंत्री रहे। उसके बाद छत्तीसगढ़ अलग हो गया था।
must read : साईं भक्तों के लिए अच्छी खबर, 27 अक्टूबर से MP के इस शहर से शुरू हो रही है फ्लाइट ऐसे अनुभवी नेता को पार्टी ने एक बार फिर प्रदेश में होने वाले नगर निगम चुनाव की जिम्मेदारी देकर काम पर लगा दिया है। पार्टी ने जब से काम सौंपा है, वे भी पूरी तरह सक्रिय हैं, जो पिछले पौने पांच साल से लूपलाइन में बैठे थे। महापौर का कार्यकाल खत्म होने के बाद मोघे के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं थी।
दीनदयाल भवन को बनाया मुख्यालय इन दिनों मोघे ने दीनदयाल भवन को अपना मुख्यालय बना रखा है, जहां वे लगभग नियमित ही पहुंचते हैं। यहां से वे प्रदेशभर की नगर निगम व जिला इकाइयों के नेताओं से संपर्क करते हैं। उनकी उपस्थिति को देखते हुए स्थानीय नेताओं व समर्थकों का जमावड़ा भी लगना शुरू हो गया है। उनके कार्यालय होने की खबर लगते ही वे पहुंच जाते हैं। बकायदा नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा भी अपनी कुर्सी मोघे को दे देते हंै। हालांकि वे जब से अध्यक्ष बने है उस पर नहीं बैठे।
must read : दुबई फ्लाइट थी फुल फिर भी बुक कर लिए 7 अतिरिक्त टिकट, यात्रियों के एयरपोर्ट पर उड़े होश, फिर… समर्थकों में जागी उम्मीद इंदौर में मोघे के भी बड़ी संख्या में समर्थक हैं, जिनमें उम्मीद जाग गई है। आका के लंबे समय से घर बैठे होने से वे चिंतित थे। उन्हें आशंका थी कि नगर निगम चुनाव में उनकी लॉटरी लगेगी या नहीं। अब निगम चुनाव के प्रभारी बनाए जाने के बाद वे भी उम्मीद से हैं। इसके अलावा कई नेता संगठन में भी जगह चाहते हैं, जिनके रास्ते खुल सकते हैं।