वैसे तो भाजपा में संगठन चुनाव छह माह पहले ही हो गए थे। ३२ जिलों के अध्यक्षों की घोषणा करने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर सांसद वीडी शर्मा को नियुक्ति कर दिया गया था। बचे हुए जिलों में इंदौर नगर और ग्रामीण को भी रोका गया था, जबकि संगठन प्रक्रिया अनुसार रायशुमारी कर ली गई थी। सारे चुनाव प्रभारियों ने लिफाफे बंद करके प्र्रदेश के संगठन महामंत्री सुहास भगत को सौंप दिए थे।
शनिवार रात जब इंदौर जिला अध्यक्ष की घोषणा हुई तो राय देने वालों की जमीन हिल गई। रायशुमारी पर राजनीतिक समीकरण हावी हो नजर आया। मंडल अध्यक्ष, मंडल से जिले के प्रभारी और वरिष्ठ नेताओं ने एकतरफा पटेल का नाम दिया था। सोनकर को अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे सांवेर में होने वाले उपचुनाव हैं।
उन्हें संतुष्ट कर दिया गया ताकि वे सिलावट का काम चुनाव में करें। हालांकि प्रदेश से मिले संकेत के चलते वे पिछले एक सप्ताह से साथ में घूम भी रहे हैं। हालांकि सोनकर को अध्यक्ष बनाने के बाद में पटेल को पसंद करने वाले खासे नाराज हैं। कुछ लोगों ने तो वरिष्ठ नेताओं को अपनी आपत्ति भी दर्ज करा दी।
सावन को भी मिल सकती जिम्मेदारी गौरतलब है कि भाजपा संगठन का पूरा ध्यान २४ विधानसभाओं में होने वाले उप चुनाव पर है। पार्टी चाहती है कि सभी सीटें जीतकर वह सरकार को सुरक्षित कर दे। इसमें प्रतिष्ठा की सीट सांवेर की भी है, जिसका प्रतिनिधित्व सिलावट करते हैं। उन्हें प्रत्याशी बनाया जाना लगभग तय है, जिसके हिसाब से पार्टी संतुलन बनाने में लगी है। सोनकर को जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब सावन सोनकर को भी बड़़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी की जा रही है।