सरकार में आने से पहले कांग्रेस ने एक वचन पत्र जारी किया था जिसमें सरकार में आने के बाद प्रदेश के युवाओं को ४ हजार रुपए महंगाई भत्ता देने की बात कही थी। इतना समय होने के बाद भी जब योजना लागू नहीं हुई तो भाजयुमो ने कल प्रदेशव्यापी आंदोलन किया। इंदौर में राजबाड़ा से हरसिद्धि के बीच शवयात्रा निकाली जानी थी, लेकिन कांग्रेस सेवादल के मार्च को प्रशासन पहले ही अनुमति दे चुका था। इस वजह मोर्चा को अनुमति नहीं दी।
इसके बावजूद मोर्चा नेताओं ने प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर सीआई जेल भेज दिया। खबर लगते ही नगर भाजपा अध्यक्ष गोपी नेमा, कमल वाघेला और मुकेश राजावत सक्रिय हो गए। ताबड़तोड़ जेल पहुंचे और प्रशासनिक अफसरों से चर्चा की ताकि जमानत हो जाए।
जमानती कार्रवाई के लिए एसडीएम शाश्वत शर्मा जैसे ही जेल पहुंचे भाजयुमो नेता ऋषि खनूजा ने शर्मा तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी और मुर्दाबाद जैसे नारे लगाना शुरू कर दिए। कमलनाथ के तबादला उद्योग में २० लाख रुपए देकर आए… इस्तीफा दो इस्तीफा दो।
ये सुनते ही शर्मा भड़क गए। कहना था कि मैं तुम्हारी जमानत देने आया हूं और मेरे खिलाफ ही नारेबाजी कर रहे हो। मुझे जब कुछ नहीं मालूम तो मेरेखिलाफ प्रदर्शन क्यों? भड़के शर्मा ने बोल दिया कि तुम तो यहीं पर अच्छे हो। ये बोलकर वे किसी भी नेता से बात करे बगैर जेल अधीक्षक के कमरे में चले गए।
नगराध्यक्ष नेमा ने लगाई फटकार
मोर्चा नेताओं की हरकत को देख नगर भाजपा अध्यक्ष नेमा, वाघेला और राजावत भी भड़क गए। कहना था कि राजबाड़ा पर प्रदर्शन था यहां हरकत क्यों कर रहे हो। किसी का नाम लेकर उसके खिलाफ व्यक्तिगत नारेबाजी कर रहे हो। जो तुमको जमानत देने आए उस अफसर की गलती क्या है? इसे समझदारी नहीं बेवकूफी कहते हैं, जिसमें बड़ा अंतर होता है।
आखिर ३ घंटे की मशक्कत के बाद छूटे
जेल में एसडीएम के साथ हुई हरकत के बाद में मोर्चा नेता मनस्वी पाटीदार, रोहित चौधरी, धीरज ठाकुर, निक्की करोसिया व वीरसिंह चौहान की सांसें ऊपर-नीचे हो गई थी। अफसर के गुस्से को देखकर लग रहा था कि आज जमानत नहीं होने वाली है बात सोमवार तक गई। हालांकि बाद में एसडीएम शर्मा से नेमा ने चर्चा की तब जाकर वे शांत हुए। इस पूरे घटनाक्रम में दोपहर के तीन बज गए। करीब साढ़े तीन घंटे जेल में रहने के बाद सभी को मुचलके पर छोड़ा गया।
जेल का नाम सुनते ही गायब हुए मोर्चा के कई नेता
राजबाड़ा पर प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ता इक_ा हो गए थे। जैसे ही पुलिस ने कार्यक्रम में हस्तक्षेप किया तब तक कई नेता नारेबाजी कर रहे थे, लेकिन जब बात बिगड़ गई तो वे धीरे-धीरे गायब होना शुरू हो गए। ३६ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हो सकी।