यहां के बदमाशों ने रिटायरमेंट की उम्र भी तय कर रखी है। पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सभी बदमाश 18 से 40 उम्र के हैं। 40 के होने ये बदमाश लूटपाट बंद कर देते हैं। इसके बाद खेती और दूसरे काम करते हैं। लूट के लिए इन बदमाशों को पहाड़ी क्षेत्र से लेकर दूरस्थ इलाकों में जाते हैं। ऐसे में फिट रहने की जरूरत पड़ती है।
500 रुपये में तो नाहर बन जाते हैं..!
टीम बोरडाबरा गांव पहुंची और बोरडाबरा गैंग के पकड़े गए एक बदमाश सदिया के घर गई। वहां उसके पिता मिले। उनसे पूछा गया कि आपका बेटा वारदात करता है तो घर कुछ सामान या रुपए लाता है तो उनका साफ कहना था कि रुपए लाते तो टूटे-फूटे घर में पन्नी डाल कर नहीं रहते। वह खेती करते हैं। बच्चों को भी खेती के लिए बोलते हैं। कभी-कभी घर पर काम करते हैं, लेकिन 500 रुपए मिल जाएं तो नाहर (शेर) बन जाते हैं। कुछ पूछें तो बोलते हैं कि शराब पीने के लिए जा रहे हैं। इसके बाद एक दो और साथी मिलते हैं और फिर सभी रवाना हो जाते हैं। कहां जाते हैं, यह उन्हें नही पॄा।
गैंग के बदमाश घर में नहीं सोते हैं। खेत या दूसरे सुनसान इलाके में पेड़ पर कुटिया बनाकर रखते हैं। वहीं रात बिताते हैं ताकि पुलिस घेराबंदी करे तो नहीं मिलें और पुलिस के आने की खबर भी आसानी से मिल जाए। पुलिस के आते ही भाग कर ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं। वहां से हमला करते हैं। रास्तों के किनारे ही बड़े-बड़े कुएं खोद रखे हैं। अनजान व्यक्ति पीछा भी करे तो इनमें गिर पड़े, डूब जाए। इसके बाद भी अगर पुलिस किसी को पकड़ ले तो ये रास्ता खोद डालते हैं, जिससे गाड़ी पलट ही नहीं पाए और पुलिस साथियों को ले जा नहीं पाए।
घर तोड़ करते हैं वारदात
एसपी धार आदित्य प्रताप सिंह के मुताबिक ये बदमाश लूट करने के लिए पहले वह घर या मोहल्ला चुन लेते हैं। इसके बाद वहां अपने किसी साथी की मदद से रैकी कर लेते हैं। घर को चुनने के बाद टीम धावा बोलती है। घर का दरवाजा या दीवार तोड़कर अंदर घुसते हैं और फिर परिवार को जगाकर लूटपाट करते हैं। विरोध होने पर हमला करने से भी नहीं चूकते हैं। बदमाशों के पास हथियार भी रहते हैं।
पुलिस के अनुसार बोरडाबरा के ही युवक अपराध की ओर नहीं मुड़े है, बल्कि आसपास के गांवों में भी कुछ युवक अपराधी हैं। बोरडाबरा और जामदा भूतिया में भी संगठित गिरोह हैं। आसपास के बदमाश धार के बाहर जाकर लूट और चोरी कर माल अपने घर लाते हैं। वह स्थानीय लोगों के साथ लूटपाट नहीं करते, लेकिन बोरडाबरा गैंग तो आसपास के लुटेरों को भी लूट लेते हैं।
बोरडाबरा और जामदा भूतिया दोनों ही गैंग में शातिर और दुर्दांत अपराधी हैं। इन दोनों ही गैंग में नंबर-1 को लेकर प्रतिस्पर्धा रहती है। पिछले दिनों जामदा भूतिया गैंग ने वर्चस्व जमाने के लिए बोरडाबरा गांव के ही एक घर में डकैती डाल दी। वह यह बताना चाहता था कि वह नंबर-1 गैंग का लीडर है। यह गैंग वहां पहुंच तो गई, लेकिन लौट नहीं पाई। भूतिया गैंग को घेर लिया गया। गैंग लीडर बोबड़ा पिता ठकरिया को मार गिराया। इस दौरान दूसरे लोगों के भी घायल होने की बात कही जाती है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में सिर्फ हत्या की बात दर्ज है।
एक बार बोरडाबरा गैंग का एक सदस्य बस में सफर कर रहा था। कंडक्टर ने उससे पैसे मांगे। बदमाश ने रुपए नहीं होने की बात कही। इस पर कंडक्टर ने उसका काफी अपमान किया और उसे बस से उतार दिया। उसके कंधे पर टंगा रुमाल यह कहकर छीन लिया कि पैसे नहीं तो तू रुमाल ही दे जा। अगले दिन कंडक्टर से बदला लेने के लिए यह गैंग जा पहुंची और कंडक्टर को गाड़ी से उतार कर बुरी तरह से पीटा। उससे रुमाल वापस लेकर तो आए ही लूट भी लिया।
एसपी धार आदित्य प्रताप सिंह के निर्देशन में क्राइम ब्रांच प्रभारी संतोष कुमार पांडे की टीम ने वर्ष २००६ से फरार 12 बदमाशों को पकड़ा। मध्यप्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र और गुजरात में वारदात की है। गांव के लोग वारदात न करें, इसके लिए अब इनके परिवार को समझाइश देकर भरोसे में ले रहे हैं। दल गांव में जाकर इन युवाओं के परिजन से मिल रहा है। उन्हें इस बात के लिए तैयार किया जा रहा है कि बच्चों को पढऩे-लिखने भेजें। उन्हें अपराध करने से रोकें। इसके अलावा फरार चल रहे युवाओं को भी पुलिस के सामने पेश होने के लिए मनाएं। इसके साथ ही बच्चों को स्कूल भेजने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।
गांव के कुछ लोग मेहनत में विश्वास करते हैं, वह खेती-बाड़ी करके न सिर्फ परिवार को पाल रहे हैं, बल्कि आर्थिक रूप से संपन्न भी हो रहे हैं। आसानी से रुपए कमाने और नशे के चक्कर में कुछ लोग अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। कोई मेहनत न करना चाहे तो उनके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता। गांव में अब बच्चे पढऩे जाने लगे हैं। इससे हालात सुधरने की उम्मीद है।
शंकर नानका, सरपंच बोरडाबरा
हमारे गांव के कुछ लोग अपराध के रास्ते पर चल निकले हैं। पंचायत ने भी इन्हें समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। युवा नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं, इस कारण हमारी कोई सुनता नहीं है। गांव में स्कूल है, लेकिन कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। कई किलोमीटर दूर अस्पताल है। यहां तो सड़क भी हाल ही में बनी है। बिजली की हालत भी यहां ठीक है।
फूल सिंह, उप सरपंच बोरडाबरा
यहां गांव में लगभग सभी के पास जमीन है। कुछ लोग खेती-बाड़ी करते हैं। काम भी लोगों को मिल रहा है। ऐसी स्थिति नहीं है कि कोई भूखा ही मर रहा हो। इसके बाद भी कुछ लोग नहीं मानते और अपराधों की ओर मुड़ जाते हैं। अब हम उन्हें कैसे समझाएं? कुछ लोग नशा करते हैं। अगर इनकी नशा करने की आदत छूट जाए तो शायद ये लोग सुधर जाएं और अपराध छोड़ दें।
– उमराव सिंह, बोरडाबरा पटेल
लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, इस कारण अपराध से कमाई आसान लगती है। लड़के की शादी होने पर लड़की के घरवालों को पैसे देने पड़ते हैं। सामान्य शादी में दो-तीन लाख दहेज के रूप में लड़की वालों को देते हैं। अगर भाग कर शादी की तो इस झगड़े को निपटाने में चार-पांच लाख तक डिमांड की जाती है। इतने रुपए लाने के लिए वह या तो ब्याज पर रुपए लेते हैं या लूटपाट करते हैं।
– दिनेश सिंघार, बोरडाबरा ग्रामीण
बोरडाबरा व जामदा भूतिया गैंग शातिर अपराधियों की है। ये लोग लूट, डकैती व राहजनी जैसी वारदात करते हैं। ये पुलिस पर हमला करने से भी नहीं चूकते। दोनों गैंग अब पुलिस गिरफ्त में है। बोरडाबरा की गैंग 39 मामलों में फरार चल रही थी। इस गैंग ने 16 नए मामले कबूले हैं। बदमाशों की गिरफ्तारी पर एक लाख 62 हजार का इनाम था, फिलहाल इनसे पूछताछ की जा रही है।
– आदित्य प्रतापसिंह, एसपी धार