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अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच चलने लगी लाश की सांस

locationइंदौरPublished: Feb 23, 2020 08:45:30 pm

– इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर परिजनों ने अस्पताल में की तोडफ़ोड़
– अस्पताल प्रबंधन ने कहा- डिस्चार्ज के समय ब्रैन डैड था मरीज

अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच चलने लगी लाश की सांस

अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच चलने लगी लाश की सांस

इंदौर.

निजी अस्पताल में उपचाररत युवक की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करते हुए तोडफ़ोड़ की। परिजनों का कहना था कि अस्पताल ने मौत की पुष्टि करने के बाद बॉडी सौंप दी थी। जब अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी तभी युवक की सांस चलने लगी। इसके बाद परिजन तत्काल अस्पताल ले गए मगर वहां ईलाज के लिए डॉक्टर नहीं थे। गुस्साए परिजन इमरजेंसी वार्ड में घुस गए और स्टाफ से अभद्रता करते हुए तोडफ़ोड़ भी की।
मालवीय नगर निवासी 20 वर्षीय चंद्रशेखर पिता अनुराग सेहरिया को शुक्रवार देर रात बेहोशी की हालत में मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गंभीर स्थिति देखते हुए डॉक्टरों ने उसे वेंटीलेटर पर रखा। शनिवार सुबह न्यूरोलॉजिस्ट की टीम ने जांच की। सीटी स्कैन व अन्य जांच के बाद पाया कि इसमें पाया कि चंद्रशेखर की स्थिति में सुधार की गुंजाईश नहीं है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार परिजनों को इसकी जानकारी दे दी गई थी। इसी आधार पर परिजन रविवार सुबह 10.40 बजे लामा (लीव अगेन्स्ट मेडिकल एडवाइस) पर ले गए। परिजन मृत मानकर जिसके अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे अचानक उसकी सांस चलने लगी। परिजनों का कहना है कि चंद्रशेखर ने मां कहकर भी पुकारा। इसके बाद आनन-फानन में उसे दोबारा से अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचते ही परिजन भी इमरजेंसी वार्ड में घुस गए। यहां डॉक्टर नहीं होने की सूचना मिलने पर वे हंगामा करने लगे। 40 से ज्यादा लोगों की भीड़ देखकर स्टाफ और अन्य मरीज व परिजन घबरा गए। हंगामा करने वालों ने अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए इमरजेंसी वॉर्ड में लगी ईसीजी मशीन, मॉनीटर और अन्य इक्विपमेंट भी तोड़ दिए। करीब डेढ़ घंटे के हंगामे के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पताल ले जाया गया। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि मेरी मृतक के परिजनों से सहानुभूति है। घटना की गंभीरता से जांच कराई जाएगी।
मूकदर्शक बनी पुलिस, बंधक रहा स्टाफ

करीब आधे घंटे तक हंगामा चलने के बाद परिजन चंद्रशेखर को एक अन्य अस्पताल ले गए जहां उसे मृत घोषित किया गया। इसके बाद वे घर न जाते हुए फिर मेदांता अस्पताल पहुंचे। यहां दोबारा से हंगामा किया। उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया था मगर हंगामा करने वालों के सामने पुलिस मूकदर्शक बनी रही। सुरक्षा के म²ेनजर अस्पताल का मैनगेट बंद करा दिया और किसी को भी भीतर जाने की अनुमति नहीं दी। करीब दो घंटे तक अस्पताल का स्टाफ और अन्य मरीजों के परिजन बंधक ही बने रहे।
पैसा जमा कराने के बाद दी लाश

गुस्साए परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पैसों की लालच में लापरवाही की है। कल हमें कह दिया था कि एक लाख रुपए जमा कराओ तुम्हारा बच्चा मर गया है उसे घर ले जाओ। जब तक पैसा जमा नहीं कराया तब तक लाश नहीं दी। हमने पैसे जमा कराए इसके बाद उन्होंने लाश दी। घर पहुंचे ही नहीं थे कि उसके मुंह से मम्मी निकला। दर्द के मारे बुरी तरह कराह रहा था। हम अस्पताल लाए तो डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया। सभी डॉक्टर भाग गए। हम इलाज में तीन लाख रुपए जमा कर चुके है। परिजनों का कहना था कि अस्पताल सील कर ईलाज की राशि की दोगुनी रकम लौटाई जाएं। परिजन रामनारायण का कहना है कि कल रात को डॉक्टरों ने मृत घोषित करते हुए कहा था कि आपको वेंटीलेटर पर रखना हो तो रखो नहीं तो वेंटीलेटर पर रहने दो। हम आज घर ले जा रहे थे। तभी रास्ते में उसकी सांस चलने लगी। करीब डेढ़ लाख रुपए का बिल बना है।
लंबे समय से थी किडनी की समस्या

चंद्रशेखर का ईलाज करने वाले नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.असद रियाज ने बताया, मरीज को लंबे समय से किडनी की समस्या थी और परिजन उसका डायलिसीस अलग-अलग अस्पतालों में करा रहे थे। जब उसे अस्पताल में लाया गया तब ब्लड प्रेशर 200 से ज्यादा होने से वह डीप कोमा में चला गया था। सीटी स्कैन करने पर पता चला कि बड़ा ब्रैन हेमरेज है। मेदांता अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ.संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी ओर से कोई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। परिजन अपनी मर्जी से ब्रैन डैड पेशेंट को डिस्चार्ज कराकर ले गए थे। परिजनों को इसकी पूरी जानकारी थी। संभवत: किसी के कहने में आकर परिचितों ने हंगामे और तोडफ़ोड़ की हरकत की है। बिल चुकाने के बाद बॉडी सौंपने की बात गलत है। भर्ती करते समय परिजनों से 5 हजार रुपए जमा कराए थे। मेडिक्लेम होने के कारण बाकी राशि कंपनी से मिलना है। 5 हजार रुपए लौटाए जा रहे है।

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