बीएसएनएल की ओर से 20 दिसंबर 2022 को एक विज्ञापन जारी किया गया था। उसमें कहा गया कि कम्पनी भारत के राज्यों में अपनी अनुपयोगी भूमियों को ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से बेचने जा रही है। उनमें मध्यप्रदेश का नाम भी शामिल है। जैसे ही ये जानकारी इंदौर जिला प्रशासन को लगी, वह सक्रिय हो गया। इंदौर में भी कम्पनी के पास में कई जमीन है। इन जमीनों का आवंटन जिला प्रशासन ने भारत संचार निगम को किया हुआ है। प्रशासन ने सारी जमीनें औने-पौने दाम या केंद्र सरकार के उपक्रम होने की वजह से नाममात्र का शुल्क लेकर दे दी थी।
खबर लगते ही अपर कलेक्टर सपना लोवंशी ने बीएसएनएल प्रबंधक को एक नोटिस थमा दिया है। कहना है कि इंदौर जिले में बीएसएनएल को मध्यप्रदेश शासन द्वारा कई स्थानों पर शासकीय जमीन का आवंटन किया गया है। उन जमीनों की जानकारी अविलंब कार्यालय को भिजवाई जाए। इंदौर जिले में शासन द्वारा आवंटित शासकीय जमीनों को विक्रय किए जाने की कार्रवाई तत्काल प्रभाव से स्थगित कर सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना विक्रय की कार्रवाई ना करे। पत्र लिखकर एक तरह से इंदौर में बीएसएनएल की जमीन की खरीद-फरोख्त पर प्रशासन ने रोक लगाई है।
जमीन प्रशासन की, कमाई बीएसएनएल की भारत संचार निगम लिमिटेड कम्पनी बनाए जाने से पहले केंद्र सरकार का मंत्रालय दूरसंचार निगम हुआ करता था। निजी कम्पनियों के आने और उनके द्वारा जनता को सुविधा देने की वजह से उसकी हालत खस्ता होती गई। बाद में सरकार ने कम्पनी बनाकर कोशिश की कि स्थिति सुधर जाए लेकिन सरकारी ढर्रे ने सुधरने का नाम नहीं लिया।
बात रही उसके पास की जमीनों की तो केंद्र सरकार का मंत्रालय होने की वजह से सभी राज्यों के प्रशासनों ने उन्हें एक तरह से मुफ्त में ही जमीन दे दी थी। बकायदा उसका आवंटन हुआ और जमीन नाम की गई। कम्पनी अब उसे अपनी संपत्ति मान रही है, लेकिन जब कम्पनी को उसकी आवश्यकता नहीं है तो उसे वापस जिला प्रशासन को लौटाना चाहिए। वर्तमान में शासन को भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए जमीनों की आवश्यकता है। कम्पनी की जमीन मिलने से ये पूर्ति भी हो जाएगी।
बात रही उसके पास की जमीनों की तो केंद्र सरकार का मंत्रालय होने की वजह से सभी राज्यों के प्रशासनों ने उन्हें एक तरह से मुफ्त में ही जमीन दे दी थी। बकायदा उसका आवंटन हुआ और जमीन नाम की गई। कम्पनी अब उसे अपनी संपत्ति मान रही है, लेकिन जब कम्पनी को उसकी आवश्यकता नहीं है तो उसे वापस जिला प्रशासन को लौटाना चाहिए। वर्तमान में शासन को भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए जमीनों की आवश्यकता है। कम्पनी की जमीन मिलने से ये पूर्ति भी हो जाएगी।