इंदौर

शासकीय कैंसर अस्पताल: आठ साल से कैंसर के मरीजों को रेडिएशन देने की सुविधा कागजों में तोड़ रही दम

अस्पताल का दौरा करने पहुंचे कमिश्रर ने 10 बिस्तर बढ़ाने के दिए निर्देश, लीनियर एक्सीलेटर का जिम्मा लिया

इंदौरAug 29, 2019 / 01:57 pm

रीना शर्मा

शासकीय कैंसर अस्पताल: आठ साल से कैंसर के मरीजों को रेडिएशन देने की सुविधा कागजों में तोड़ रही दम

Indore News. शासकीय कैंसर अस्पताल में 8 सालों से कैंसर के गरीब मरीजों को लीनियर एक्सीलेटर द्वारा रेडिएशन देने की सुविधा कागजों में ही दम तोड़ रही है। बुधवार को अस्पताल का दौरा करने पहुंचे कमिश्रर आकाश त्रिपाठी ने अब मशीन दिलाने का जिम्मा खुद लिया है। उन्होंने 20 करोड़ रुपए का प्रस्ताव लीनियर यूनिट के लिए बनाने के निर्देश कॉलेज को दिए। साथ ही अस्पताल में 10 बिस्तर बढ़ाने और तलघर में 20 सालों से पानी भरने की समस्या का स्थाई हल निकालने के भी निर्देश पीडब्ल्यूडी अफसरों को दिए। मालूम हो, पत्रिका समय-समय पर लगातार इस मु²े को उठाता रहा है।
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कमिश्रर त्रिपाठी ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. ज्योति बिंदल और अस्पताल अधीक्षक डॉ. रमेश आर्य से कहा, कैंसर जैसे घातक रोगों के उपचार की बेहतर से बेहतर व्यवस्था यहां सुनिश्चित हो। जो भी कमियां हैं, वह सभी दूर की जाएं। कमिश्नर ने सभी वार्डों सहित ऑपरेशन थिएटर, रिकॉर्ड रूम और रेडिएशन सेंटर का निरीक्षण किया। अस्पताल में 10 बेड तत्काल बढ़ाने के निर्देश दिए। डॉ. आर्य ने बताया, वर्तमान में लगभग तीन ऑपरेशन औसत रूप से हर रोज हो रहे हैं। कमिश्नर ने अस्पताल में नई ओटी बनाने के भी निर्देश दिए, जिससे ज्यादा ऑपरेशन हो सकेंगे। हॉस्पिटल के रेडिएशन सोर्स का सिक्योरिटी प्लान तत्काल बनाने और मंजूर कराने को भी उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि अस्पताल में रेडिएशन की नई लीनियर एक्सीलेटर मशीन भी स्थापित की जाए, जिससे मरीजों का त्वरित इलाज हो सके।
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संस्थाओं को जोडक़र करें काम

इस दौरान वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एमएस गुजराल, समाजसेवी नवीन मेहता, पवन शर्मा व अन्य लोग मौजूद थे। कमिश्रर ने कैंसर अस्पताल में स्वैच्छिक सेवाओं में विभिन्न संस्थाओं को जोडऩे की बात भी कही। पंडित जी सेवा न्यास के उपस्थित सदस्यों ने बताया, उनके द्वारा मरीजों के लिए दवाइयां और भोजन की व्यवस्था समय-समय पर की जाती है। मरीजों से चर्चा के दौरान देवास से आए एक मरीज ने बताया, उन्हें गले में तकलीफ है। कमिश्नर ने उन्हें सांत्वना दिया कि वे शीघ्र स्वस्थ हो जाएंगे। यहां भर्ती कई ग्रामीणों ने बताया, उन्हें धूम्रपान करने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। कमिश्रन ने कहा, न केवल वे धूम्रपान से दूर रहें, बल्कि परिजन को भी धूम्रपान से दूर रहने की सलाह दें।
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सालों से अनदेखी का शिकार कैंसर अस्पताल

निजी अस्पतालों में कैंसर का इलाज काफी महंगा है। आयुष्मान योजना में भी बड़े कैंसर अस्पताल भागीदारी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में गरीब मरीजों के पास इलाज के लिए सिमित विकल्प है। 50 साल पुराने कैंसर अस्पताल में 25 साल पुरानी कोबाल्ट मशीन से रेडिएशन थैरेपी दी जा रही है। वर्ष 2011 में कोबाल्ट मशीन खरीदने का प्रस्ताव बनाया गया, तब से कई बार योजनाएं बदलीं, लेकिन मशीन नहीं मिल पाई। इसके बाद अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी योजना से जोड़ा गया, लेकिन शुरू होने से पहले ही प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया गया। फिर ४५ करोड़ रुपए की लागत से कैंसर रिसर्च सेंटर बनाने की योजना बनाई गई, लेकिन फाइल कागजों में दफन हो गई।
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यह होगा फायदा

कैंसर अस्पताल में सालों पुरानी कोबाल्ट मशीन से रोजाना 90 मरीजों को रेडिएशन दिया जा रहा है। अधीक्षक डॉ. आर्य ने बताया, दो लीनियर मशीन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। एक मशीन पर रोजाना 70 मरीजों को रेडिएशन दिया जा सकता है। यह मशीन पिन पाइंट रेडिएशन देती है, जिससे ब्रेन, आई, लीवर, किडनी जैसे कैंसर में मरीजों को कम नुकसान के रेडिएशन मिलेगा। 3 व 4 स्टेज के मरीजों को कोबाल्ट से रेडिएशन दिया जा सकेगा। इससे रोजाना 250 से ज्यादा मरीजों को सुविधा मिल पाएगी।
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