जब हम यह व्यायाम करते है तो शरीर में एंडोर्फिन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है, जिससे हमें खुश रहने का एहसास मिलता है। इससे हमें तनाव कम होने का अहसास होता है। जब हम नियमित रूप से एरोबिक्स का अभ्यास करते हैं, तो इससे हमारी नींद, मनोदशा और इसके साथ हमारी जीवन शक्ति में भी बहुत ही सुधार आता है।
एरोबिक्स कैसे करते हैं ?
एरोबिक्स को जब हम सही तरीके के साथ करते हैं, तो हमें बहुत एरोबिक्स के फायदे मिलते हैं। तो आइये जानते हैं इसको करने के तरीको के बारे में… – एरोबिक्स को आप किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन जब आप सुबह के समय इसको करते हो, तब आपको इसके कई फायदे देखने को मिलते हैं। जब आप अपना वजन कम करना चाहते हो, तो आपको एरोबिक्स में दो दिन से ज्यादा अंतर नहीं रखना चाहिए। अन्यथा आप सप्ताह में कम से कम तीन बार एरोबिक्स व्यायाम कर सकते हो।
– इसको करते समय व्यायाम का स्तर न अधिक तीव्र होना चाहिए और न कम।
– इसको शुरू में कम से कम बीस मिनट तक करना चाहिए, लेकिन फिर धीरे-धीरे इसको बढाकर एक घंटे तक कर सकते हैं।
– जब आप इसको शुरुआत में करते हैं, तब आपको इसमें से ऐसी क्रियाओं को चुनना चाहिए, जिसको करने से आपको मजा आता है, जैसे तैराकी या साईकिल चलाना।
– वायरस या श्वास संबंधी संक्रमण होने पर यह व्यायाम नहीं करना चाहिए। व्यायाम के दौरान अगर आप के सीने में दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
– इसको करते समय हमें अपने कपड़ों का चुनाव सही तरीके के साथ करना चाहिए। हमें ऐसे कपड़े चुनने चाहिए, जिससे हमारी त्वचा को हवा मिलती रहे और शरीर के मूवमेंट में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
एरोबिक्स को जब हम सही तरीके के साथ करते हैं, तो हमें बहुत एरोबिक्स के फायदे मिलते हैं। तो आइये जानते हैं इसको करने के तरीको के बारे में… – एरोबिक्स को आप किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन जब आप सुबह के समय इसको करते हो, तब आपको इसके कई फायदे देखने को मिलते हैं। जब आप अपना वजन कम करना चाहते हो, तो आपको एरोबिक्स में दो दिन से ज्यादा अंतर नहीं रखना चाहिए। अन्यथा आप सप्ताह में कम से कम तीन बार एरोबिक्स व्यायाम कर सकते हो।
– इसको करते समय व्यायाम का स्तर न अधिक तीव्र होना चाहिए और न कम।
– इसको शुरू में कम से कम बीस मिनट तक करना चाहिए, लेकिन फिर धीरे-धीरे इसको बढाकर एक घंटे तक कर सकते हैं।
– जब आप इसको शुरुआत में करते हैं, तब आपको इसमें से ऐसी क्रियाओं को चुनना चाहिए, जिसको करने से आपको मजा आता है, जैसे तैराकी या साईकिल चलाना।
– वायरस या श्वास संबंधी संक्रमण होने पर यह व्यायाम नहीं करना चाहिए। व्यायाम के दौरान अगर आप के सीने में दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
– इसको करते समय हमें अपने कपड़ों का चुनाव सही तरीके के साथ करना चाहिए। हमें ऐसे कपड़े चुनने चाहिए, जिससे हमारी त्वचा को हवा मिलती रहे और शरीर के मूवमेंट में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
स्टडीज
जर्मनी के उल्म मेडिकल कॉलेज में कैंसर के रोगी अस्पताल से सीधे ट्रेनिंग के लिए आते हैं। कीमोथैरेपी के दौरान भी। यह ऐसा वक्त होता है जब कैंसर के कई रोगी निराश होने लगते हैं। हर मरीज के लिए उल्म यूनिवर्सिटी की स्पोट्र्स विज्ञानी श्टेफानी ऑटो ने खास निजी ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया है। ऑटो कहती हैं, “खास तौर पर कीमोथैरेपी के दौरान स्पोट्र्स बहुत ही जरूरी है, यह साइड इफेक्ट्स को कम करता है। आम तौर पर मरीज अपनी एथेलेटिक क्षमता बरकरार रख सकते हैं, कभी कभार तो वह बढ़ भी जाती है। सबसे जरूरी बात यह है कि वे फिट रहते हैं और जीवन का स्तर बकरार रखते है। हर दिन जिंदगी को ज्यादा असरदार तरीके से जी पाते हैं।”
जर्मनी के उल्म मेडिकल कॉलेज में कैंसर के रोगी अस्पताल से सीधे ट्रेनिंग के लिए आते हैं। कीमोथैरेपी के दौरान भी। यह ऐसा वक्त होता है जब कैंसर के कई रोगी निराश होने लगते हैं। हर मरीज के लिए उल्म यूनिवर्सिटी की स्पोट्र्स विज्ञानी श्टेफानी ऑटो ने खास निजी ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया है। ऑटो कहती हैं, “खास तौर पर कीमोथैरेपी के दौरान स्पोट्र्स बहुत ही जरूरी है, यह साइड इफेक्ट्स को कम करता है। आम तौर पर मरीज अपनी एथेलेटिक क्षमता बरकरार रख सकते हैं, कभी कभार तो वह बढ़ भी जाती है। सबसे जरूरी बात यह है कि वे फिट रहते हैं और जीवन का स्तर बकरार रखते है। हर दिन जिंदगी को ज्यादा असरदार तरीके से जी पाते हैं।”
स्पोट्र्स मेडिसिन विशेषज्ञ प्रोफेसर युर्गेन श्नाइनेकर कहते हैं, “शोध दिखा चुके हैं कि स्पोट्र्स थैरेपी स्तन, छोटी आंत और अंडकोष में ट्यूमर के फिर से पनपने की संभावना 50 फीसदी तक कम कर सकती है। यह दर कीमोथैरेपी के बराबर ही है। कोई यह नहीं कह रहा है कि ऐसा कीमोथैरेपी के बिना हो रहा है, लेकिन एक साथ दो इलाजों से, ट्यूमर के लौटने की संभावना वाकई बहुत कम हो जाती है।”