खेतों में खड़ी सोयाबीन, मक्का और उड़द फसल कटवाने के लिए हार्वेस्टर, थ्रेसर संचालकों और मजदूरों को देने के लिए किसानों के पास रुपए नहीं हैं। एेसी स्थिति में किसान फसल निकलते ही मंडी में बेचने पहुंच रहा है, लेकिन मंडी में उनकी समस्या कम होने की जगह बढ़ती जा रही है। व्यापारी टीडीएस कटने का हवाला देते हुए दो लाख रुपए तक का नकद भुगतान नहीं कर रहे हैं। जबकि नकद भुगतान करने के निर्देश पहले ही शासन और प्रशासन स्तर से दिए जा चुके हैं। किसानों को गेहूं, चना और मक्का फसल की बोवनी के लिए भी नकद रुपए चाहिए। साथ ही सामने आने वाले दीपावली त्योहार को मनाने के लिए भी किसानों को पास रुपए नहीं है। एेसी स्थिति में किसानों के घर दिवाली की रौशनी होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।
२५ सितंबर को मंडी सचिव ने दिए आदेश, फिर भी नहीं हो रहा पालन-
कृषि उपज मंडी समिति इंदौर के सचिव एमएस मुनिया ने २५ सितंबर को सभी व्यापारियों को आयकर अधिनियम में हुए संशोधन से अवगत कर दिया था और बैंक खातों से एक करोड़ से अधिक नकद राशि पर दो प्रतिशत टीडीएस नहीं काटे की जानकारी दे चुके थे। आदेश में कहा गया था कि भारत सरकार के राजपत्र में २० सितंबर को साफ कर दिया गया है कि मंडी के पंजीकृत व्यापारियों को आयकर अधिनियम में टीडीएस के प्रावधान लागू नहीं होंगे। इसके आधार पर मंडी बोर्ड ने व्यापारियों को निर्देश दिए थे कि किसानों को १,९९,९९९ रुपए का नकद भुगतान किया जाएं।
कृषि उपज मंडी समिति इंदौर के सचिव एमएस मुनिया ने २५ सितंबर को सभी व्यापारियों को आयकर अधिनियम में हुए संशोधन से अवगत कर दिया था और बैंक खातों से एक करोड़ से अधिक नकद राशि पर दो प्रतिशत टीडीएस नहीं काटे की जानकारी दे चुके थे। आदेश में कहा गया था कि भारत सरकार के राजपत्र में २० सितंबर को साफ कर दिया गया है कि मंडी के पंजीकृत व्यापारियों को आयकर अधिनियम में टीडीएस के प्रावधान लागू नहीं होंगे। इसके आधार पर मंडी बोर्ड ने व्यापारियों को निर्देश दिए थे कि किसानों को १,९९,९९९ रुपए का नकद भुगतान किया जाएं।
मंडी अफसर कर रहे बैंकों से चर्चा-
इस संकट से निपटने के लिए मंडी अधिकारी खुद बैंकों से संपर्क कर रहे है और उन्हें भारत सरकार के राजपत्र की प्रतिलिपी भी उपलब्ध करा रहे है, ताकि बैंक व्यापारियों पर टीडीएस का प्रावधान नहीं लगाए, लेकिन बैंक अफसर भी उच्च अधिकारियों से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिलने का हवाला दे रहे हैं।
इस संकट से निपटने के लिए मंडी अधिकारी खुद बैंकों से संपर्क कर रहे है और उन्हें भारत सरकार के राजपत्र की प्रतिलिपी भी उपलब्ध करा रहे है, ताकि बैंक व्यापारियों पर टीडीएस का प्रावधान नहीं लगाए, लेकिन बैंक अफसर भी उच्च अधिकारियों से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिलने का हवाला दे रहे हैं।