२५ अगस्त २०१७ को दिल्ली के तीस हजारी सेंट स्टीफेंस अस्पताल में डॉ. शाश्वत पांडेय की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद पुलिस जांच पर पिता डॉ. संजय पांडेय के परिजन ने गंभीर सवाल खड़े किए। कहना था कि डॉ. सुयश उनके लड़के को लगातार जान से मारने की धमकी दे रहे थे।
लंबी जांच के बाद जब पुलिस को हत्या का कोई सुराग नहीं लगा तो मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।तब से बारीकी से जांच शुरू हुई। खुलासा हुआ कि हत्या के बाद से आरोपित डॉ. सुयश गुप्ता फरार हैं। उन पर पांच लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया गया है। उसको पकडऩे के लिए सीबीआई की आठ टीमों ने यूपी, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में छापामार कार्रवाई भी की।
इसके अलावा सीबीआई मध्य प्रदेश में ये जांच कर रही है कि कहीं डॉ. गुप्ता किसी अस्पताल या क्लीनिक का संचालन तो नहीं कर रहे। इसको लेकर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं से जानकारी भी मांगी गई। उस पर विभाग ने इंदौर के जिला प्रशासन व पीसीपीएनडीटी विभाग से रिपोर्ट बुलाई है। पूछा गया है कि २५ अगस्त २०१७ के बाद सक्षम प्राधिकारी व पीसीपीएनडीटी व कलेक्टर ने किन-किन केंद्रों को पीएनडीटी लाइसेंस जारी किए हैं।
इन लाइसेंसों में डॉ. सुयश गुप्ता, डॉ. राजीव पांडे व डॉ. अंकित गुप्ता के नाम पर कोई लाइसेंस जारी तो नहीं हुआ है। इंदौर में अब तक जारी किए गए पीएनडीटी लाइसेंस में कौन-कौन डॉक्टर उपयोग कर रहा है या संचालित कर रहा है।
बारीकी से खंगाला जा रहा रिकॉर्ड
गौरतलब है कि डॉ. गुप्ता मर्डर कांड की जांच सीबीआई कर रही है और उसने जानकारी मांगी है। इस बात को जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से ले रहा है। कहीं गलती से कोई गलत रिपोर्ट या जानकारी चली गई तो मामला उनके गले की हड्डी बन सकता है। ऐसे में बिना वजह के जवाबदार अफसर उलझ जाएंगे। बताते हैं कि सारा मामला कलेक्टर निशांत वरवड़े की जानकारी में डाल दिया गया है। वे ही रिपोर्ट पर निगरानी रखे हुए हैं।