सेंट्रल जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि जेल विभाग सीधे तौर पर निर्वाचन की गतिविधियों से जुड़ा हुआ नहीं रहता है। जेल अफसर और कर्मचारियों की ड्यूटी भी नहीं लगाई जाती, इसके चलते उन्हें छुट्टी भी दी जा सकती है। एक तय संख्या में स्टाफ को छुट्टी दी जाती है। शादियों का सीजन होने के कारण कई कर्मचारी छुट्टी के लिए आ रहे हैं। उनके सामने शर्त रखी जा रही है कि जिस काम के लिए वे छुट्टी ले रहे हैं, वह तो करे हीं, उन्हें वोट भी अनिवार्य रूप से डालना होगा। जब वह लौंटेगे तभी उन्हें औपचारिक स्वीकृति दी जाएगी। यह तब होगा, जब वह ये बता पाएंगे कि मतदान किया है। इसके लिए उंगली पर लगा स्याही का निशान दिखाना होगा। स्थानीय स्टाफ को भी कहा गया है कि ड्यूटी करने के बाद मतदान जरूर करें।
जेल से कैदी का वोट नहीं जेल में किसी भी अपराध के मामले में बंद कैदी को वोट डालने के लिए पात्रता नहीं है, फिर चाहे वह विचाराधीन हो या सजायाफ्ता। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई वाले कैदियों को मतदान की पात्रत्रा रहती है। इस बार एक भी कैदी इस कैटेगरी में पात्र नहीं निकला है। एक कैदी रासुका के तहत बंद है, लेकिन वह भी तकीनीकी रूप से पात्र नहीं है। जिला प्रशासन के अफसरों को इस बारे में जानकारी दे दी गई है।