तुर्की ने सीरिया की सीमा के निकट मंगलवार को एक रूसी युद्धक विमान को मार गिराया और अपनी इस हरकत का बचाव करते हुए कहा कि उसने अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए ऐसा कदम उठाया है।
तुर्की ने सीरिया की सीमा के निकट मंगलवार को एक रूसी युद्धक विमान को मार गिराया और अपनी इस हरकत का बचाव करते हुए कहा कि उसने अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए ऐसा कदम उठाया है।
तुर्की के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह किसी देश विशेष के खिलाफ कार्रवाई नहीं है। उन्होंने कहा कि तुर्की के वायुक्षेत्र का उल्लंघन करने वाले रूसी युद्धक विमान को बार बार चेतावनी दी गई लेकिन इसके बावजूद विमान उसके वायुक्षेत्र से बाहर नहीं गया जिसके बाद उसे मार गिराया गया।
दूसरी ओर रूस ने उसके विमान का तुर्की के वायुक्षेत्र का उल्लंघन करने के आरोप का खंडन किया है और कहा है कि उसका युद्धक विमान मार गिराया गया है। रूस की सरकार के प्रवक्ता ने इसे बहुत ही गंभीर घटना बताई है और कहा है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल है।
ब्रिटेन ने भी सीरिया की सीमा के निकट रूस के एक लड़ाकू विमान को मार गिराए जाने की घटना को बेहद गंभीर बताया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा ‘हम घटना का विस्तृत विवरण प्राप्त कर रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है और बिना विस्तृत विवरण के इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।’
इस घटना के बाद रूस की गंभीर प्रतिक्रिया और अन्य देशों द्वारा इस संबंध में दिखाई जा रही चिंता के बीच तुर्की के विदेश मंत्रालय ने रूसी विमान को मार गिराए जाने की घटना पर बातचीत के लिए रूस के वाणिज्य दूत को बुलाया है। तुर्की की सेना ने कहा कि 1950 के दशक के बाद यह पहला अवसर है जब नाटो के किसी सदस्य देश ने रूस के विमान को मार गिराया है।
दूसरी ओर नाटो की प्रवक्ता का कहना है कि विमान गिराए जाने की घटना के संबंध में तुर्की उसके राजदूतों को विस्तृत जानकारी देगा। तुर्की में रूसी विमान को गिराए जाने के बाद उत्पन्न हुए तनाव के बीच अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि तुर्की ने अमेरिका को बताया है कि रूसी विमान के उसके वायुक्षेत्र का उल्लंघन करने के कारण मार गिराया गया।
तुर्की की इस कार्रवाई में अमेरिका शामिल नहीं है। इस संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए तुर्की के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांच स्थाई सदस्य देशों अमेरिका, रूस,चीन,फ्रांस और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों को बुलाया है।