चने की कटाई जोरो पर, कीमतों पर दबाव बनने की आशंका
चना उत्पादन 112.2 लाख मीट्रिक टन अनुमानित

इंदौर. नई फसल की आवक के कारण भारतीय चना की कीमतों में मामूली कमजोरी देखी गई परन्तु पिछले 2-3 दिनों से वायदा और हाजिऱ तेज हुए है। धीरे-धीरे अब उत्पादक क्षेत्रों में मौसम साफ हो रहा है, ऐसे में कटाई जोरो पर चल रही है। सूत्रों का कहना है कि अवाक के दवाब से कीमतों में दवाब बनने की आशंका है। इसके अलावा प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीद गतिविधि में देरी और पुरानी फसल की बिक्री से बाजार पर दबाव बढ़ रहा है। कीमतों को समर्थन देने के लिए नेफेड ने बाजार में पुरानी फसल बेचना बंद कर सकता है। वर्तमान में नेफेड अभी भी बाजार में पुराना स्टॉक बेच रही है। वर्तमान में चना का सरकारी स्टॉक में 15.32 लाख टन की आस-पास है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरकार द्वारा खरीद गतिविधि में देरी से कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। अभी तक केवल आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में चना की खरीद चालू है राज्यों में कुल खरीद 38.39 हजार मीट्रिक टन पर पहुंची।
अन्य राज्यों में खरीद गतिविधियां शुरू होने के बाद यह घरेलू कीमतों को समर्थन दे सकता है क्योंकि किसान अपनी उपज को एमएसपी पर सरकार को बेचना पसंद कर सकते हैं। मौजूदा बाजार मूल्य एमएसपी से कम है जो कीमतों को समर्थन दे सकता है।
चना खरीदने की योजना
इस वर्ष भी सरकार ने किसानों से अच्छी मात्रा में चना खरीदने की योजना बनाई है क्योंकि उत्पादन का अनुमान अधिक है और बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे जा रहा है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मौसम साफ होने के कारण कटाई की गतिविधियां बढऩे की उम्मीद, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। राजस्थान में कटाई की गतिविधि इस महीने के अंत में शुरू होने की संभावनाएं। दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार 2019-20 में चना उत्पादन 112.2 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है जो कि 2018-19 में 99.4 लाख मीट्रिक टन था। यानि उत्पादन पिछले से 12.87 प्रतिशत अधिक है, जबकि चना उत्पादन का व्यापारिक अनुमान 103-107 लाख टन तक लगाया जा रहा है।
ऑस्टे्रलिया में उत्पादन कम
भारत से मांग कम होने के कारण ऑस्ट्रेलिया चना उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में कम है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 में 2.82 लाख टन की तुलना में ऑस्ट्रेलियाई चना उत्पादन 2019-20 में 2.48 प्रतिशत बढक़र 2.89 लाख टन पहुंच सकता है। उम्मीद है कि आने वाले सप्ताह में नई फसल के आगमन पर दवाब बन सकता है परन्तु नेफेड द्वारा पुरानी फसल की बिक्री रोके जाने और नई खरीद शुरू होने से कीमतों का मामूली समर्थन मिल सकता है। कोरोना वायरस के कारण चना की खपत बढ़ सकती है।
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