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मौसम की करवट से बढ़ा वायरल का प्रकोप, ओपीडी पहुंची तीन हजार

locationइंदौरPublished: Sep 25, 2018 09:37:40 pm

Submitted by:

amit mandloi

-एक-दूसरे में तेजी से फैल रहा, डेंगू के मामले भी आ रहे सामने हर एक-दो घर में मिल रहे मरीज
 

'VIREL FEVER NEWS

मौसम की करवट से बढ़ा वायरल का प्रकोप, ओपीडी पहुंची तीन हजार

इंदौर.
मौसम में बदलाव से शहर में फिर वायरल बुखार और सर्दी-खांसी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हर एक-दो घर छोडक़र लोग बीमार मिल रहे हैं। बच्चों से बड़े तक चपेट में हैं। पहले से सक्रिय डेंगू के वायरल से लोगों में भय है। एक्सपट्र्स का कहना है, डेंगू और वायरल के लक्षण अलग हैं। अभी वायरल का स्वरूप गंभीर नजर नहीं आ रहा है। अधिकतर मामले राइनो वायरल के हैं।
गौरतलब है, गुरुवार-शुक्रवार को बारिश के बाद से तेज धूप निकल रही है। मौसम तेजी से बदलने पर वायरल फैलने की आशंका बढ़ जाती है। बीते वर्षों में इस दौरान स्वाइन फ्लू का कहर शुरू हुआ। हालांकि अब तक इसके मामले तो सामने नहीं आए, लेकिन संदिग्ध मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एमवाय अस्पताल में मंगलवार की ओपीडी तीन हजार से ज्यादा रही। आमतौर पर १५०० से २००० के बीच रहती है। वहीं जिला अस्पताल की ओपीडी में ७०० से ८०० मरीज पहुंच रहे हैं।
निजी अस्पतालों में जांच पर हजारों खर्च
डेंगू के मामले सामने आने पर खौफ में निजी अस्पताल पहुंचने वाले मरीज डेंगू की जांच भी करा रहे हैं। इसमें १००० से १५०० रुपए खर्च हो रहे हैं। हिमोग्लोबिन सहित अन्य जांच के अलावा रिपोर्ट आने तक भर्ती रहकर दो-तीन दिन इलाज में भी १० से १५ हजार रुपए खर्च हो रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों में चार दिन में एक मरीज
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में बीते चार दिन में डेंगू के एक मरीज की पुष्टि हुई है। चार दिन छुट्टी से अधिकतर नमूने एमजीएम मेडिकल कॉलेज में मैक एलाइजा जांच के लिए पहुंचे ही नहीं। डेंगू के लिए रैपिड टेस्ट और मैक एलाइजा टेस्ट होता है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में जांचें मुफ्त होती हैं, लेकिन हर संदिग्ध मरीज का ब्लड सेंपल यहां नहीं भेजा जा सकता। यहां से रिपोर्ट मिलने तक मरीज की छुट्टी हो चुकी होती है। यही वजह है, पूरा शहर भले ही बीमारी से परेशान हो, इस साल डेंगू के मरीजों का सरकारी आंकड़ा 1७७ ही है।
स्वाइन फ्लू के २९ सेंपल भेजे
निजी व सरकारी अस्पतालों से स्वाइन फ्लू वायरस एन१एच१ के २९ संदिग्ध मरीजों के नमूने मंगलवार को जांच के लिए भोपाल लैब भेजे गए हैं। बीते साल अब तक स्वाइन फ्लू से २५ लोगों की मौत हो चुकी थी। ३६९ के सेंपल की जांच में ९० मरीज पॉजिटिव मिले थे। इस साल अब तक २२३ सेंपल भेजे गए, जिनमें दो मरीज साल की शुरुआत में पॉजिटिव मिले थे। एक महिला की मौत हो चुकी है। चिकनगुनिया का कोई मामला सामने नहीं आया है।
एक्सपर्ट ओपिनियन….
-मौसम में उतार-चढ़ाव से वायरल मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डेंगू के मामले भी सामने आ रहे हैं। हालांकि अधिकतर में मौसमी राइनो वायरल मिल रहा है। दोनों बीमारी में मरीजों की पहचान लक्षण से की जा सकती है। वायरल के मरीजों में सर्दी-जुकाम के साथ सिर दर्द, बदन दर्द और हलके बुखार की शिकायत मिल रही है। मरीज ५-६ दिन में ठीक हो रहे हैं। वायरल एक-दूसरे में तेजी से फैलता है, इसलिए परिवार में एक साथ दो या ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं।
-डॉ. धर्मेंद्र झंवर, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, एमवायएच
-रोग प्रतिरोध क्षमता विकसति नहीं होने से बच्चे जल्द वायरल का शिकार हो जाते हैं। उनमें डेंगू भी देखने को मिल रहा है। प्लेटलेट्स कम होने पर डेंगू का इलाज शुरू किया जा रहा है। सामान्य लक्षणों में जांच के बाद इलाज कर रहे हैं। बच्चे ८ से १० दिन में पूरी तरह ठीक हो रहे हैं। घर में कोई बीमार है तो बच्चों से दूरी बनाएं, हाथ धोने और मास्क पहनकर बच्चों को वायरल से बचा सकते हैं।
-डॉ. भूपेंद्रसिंह शेखावत, शिशु रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल
तापमान में उतार-चढ़ाव
दिन अधिकतम न्यूनतम

२० सितंबर ३३.८ (दो डिग्री ज्यादा) २१.५ (सामान्य)
२१ सितंबर ३२ (एक डिग्री ज्यादा) २१ (सामान्य)

२२ सितंबर २५ (सात डिग्री कम) २२ (एक डिग्री कम)
२३ सितंबर २९.४ (तीन डिग्री कम) २१.६ (एक डिग्री ज्यादा)
२४ सितंबर ३१.२ (एक डिग्री कम) २० (एक डिग्री कम)
२५ सितंबर ३१.२ (एक डिग्री कम) २१ (एक डिग्री ज्यादा)

वायरल इंफेक्शन के लक्षण

-गले में खराश और दर्द
-जुकाम

-आंखों में जलन, लाली और खुजली
-सिर दर्द
-तेज बुखार
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डेंगू के लक्षण
-तेज बुखार

-मांसपेशियों व जोड़ों में असहनीय दर्द
-सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द

-जी मिचलाना, उल्टी व दस्त
-त्वचा पर लाल दाने उभरना आदि।

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यह उपाय जरूरी
-खांसते-छींकते समय मुंह ढंके, उपयोग के कपड़े अलग रखें।
-वायरल में गर्म पानी के गरारे करें, बच्चों व वृद्धों के मामले में विशेष ध्यान दें।

-घर में व आसपास पानी एकत्र न होने दें, साफ-सफाई रखें।
-कूलर, बर्तनों, गमले आदि का पानी रोज बदलें। जरूरत न हो तो भरने न दें।
-शरीर के अधिकतम हिस्से को ढंकने वाले कपड़ पहनें।
-मच्छररोधी संसाधनों का उपयोग करें।

-भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाने व हाथ मिलाने से बचें।

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