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गंभीर नदी में केमिकल; लाल हुआ पानी, 2 लाख से ज्यादा लोगों की जलापूर्ति ठप

locationइंदौरPublished: Oct 23, 2019 01:43:39 am

Submitted by:

Mohan Mishra

लापरवाही: यशवंत सागर बांध से 20 किमी दूर कलारिया गांव से मिली सूचना
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आशंका-नदी में किसी ने टैंकर से छोड़ा केमिकलयुक्त पानी
अफसरों की लापरवाही ऐसी: सुबह 11 बजे मिली सूचना, 16 किमी दूर से सैंपल लाने में लग गए 6 घंटे

गंभीर नदी में केमिकल; लाल हुआ पानी, 2 लाख से ज्यादा लोगों की जलापूर्ति ठप

गंभीर नदी में केमिकल; लाल हुआ पानी, 2 लाख से ज्यादा लोगों की जलापूर्ति ठप

इंदौर. गंभीर नदी का पानी मंगलवार को केमिकल डाले जाने से लाल हो गया। यशवंत सागर बांध से करीब 20 किलोमीटर आगे कलारिया गांव में यह मंजर देखा गया। धीरे-धीरे यह पानी यशवंत सागर बांध तक पहुंच गया, जहां से पूरे इंदौर एवं आसपास के गांवों की आबादी को पानी मिलता है। इसकी सूचना जब इंदौर में बैठे अफसरों तक पहुंची तो हडक़ंप मच गया। अफसरों ने आनन-फानन में शहर की 2.22 लाख आबादी की जलापूर्ति रोक दी। उधर, नगर निगम ने कलारिया और आगे जांच के लिए टीम भेजने के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जानकारी दी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि पीथमपुर और कलारिया के बीच गंभीर नदी में कुछ नाले मिलते हैं। इनमें से किसी एक नाले में इंडस्ट्री का गंदा पानी टैंकर से छोडऩे पर पानी लाल हो गया है।
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शाम 7 बजे कलमेर तक पहुंचा लाल पानी
निगम की टीम ने नदी किनारे होते हुए पीथमपुर की शुरुआती जगह तक जांच की तो वहां तक पूरा पानी लाल मिला। टीम पीथमपुर शहर से आ रहे पानी की जांच नहीं कर पाई, जबकि बोर्ड के मुताबिक पीथमपुर और कलारिया के बीच टैंकर से पानी नदी में छोडऩे से पानी का रंग खराब हो गया। ये पानी शाम ७ बजे तक यशवंत सागर से 7 किलोमीटर पहले कलमेर तक पहुंचा था।
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एक दर्जन से ज्यादा टंकियों में सीधे भरी जाती हैं टंकियां:
यशवंत सागर से सुपर कॉरिडोर के क्षेत्र के अलावा गांधीनगर और बांगड़दा क्षेत्र में भी यहीं से जलापूर्ति की जाती है। इसके अलावा बीएसएफ, अंबिकापुरी, पल्हरनगर, महाराणा प्रताप नगर, सदर बाजार आदि टंकियों को भी नर्मदा का पानी इसके पानी में मिलाकर भरा जाता है।
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बुधवार को हो सकेगी जांच पूरी
पीथमपुर और कलारिया के आगे का हिस्सा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के धार रीजनल कार्यालय के अंतर्गत आता है। बोर्ड के अफसर इंदौर को आपूर्ति होने वाले पानी के प्रदूषित होने पर कितने गंभीर थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस हिस्से में पानी की जांच भी इसी जोनल कार्यालय की टीम द्वारा की गई। सुबह 11 बजे खबर लगने के बाद टीमें इंदौर से सैंपल लेने रवाना हुईं, लेकिन इंदौर से महज १६ किलोमीटर दूर कलारिया से सैंपल लाने में 6 घंटे लग गए। शाम 5.30 बजे टीम सैंपल लेकर इंदौर आई। इस कारण उसकी प्रारंभिक जांच ही हो पाई। इसमें पानी में ऑक्सीजन की मात्रा तो बराबर थी, लेकिन अन्य तरह के केमिकल की जांच नहीं हो पाई। इसकी पूरी जांच बुधवार को ही हो पाएगी।
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वर्जन:
एफआइआर के आदेश दिए हैं:
गंभीर नदी का पानी इंदौर में पीने के लिए इस्तेमाल होता है। नदी में गंदा पानी छोडऩे वाली सभी उद्योगों की जांच करने और उन्हें बंद करने के साथ ही एफआइआर कराने के निर्देश दिए हैं। स्रोतों का पता लगा रहे हैं।
-सज्जनसिंह वर्मा, पर्यावरण मंत्री
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जांच की जा रही है:
गंभीर नदी के पानी की हमने जांच की है। ऐसी आशंका है कि नदी में किसी ने टैंकर से लाकर केमिकल युक्त पानी छोड़ा है। इसकी भी जांच कर रहे हैं।
-सुनील श्रीवास्तव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड धार के क्षेत्र अधिकारी
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अभी जलापूर्ति पर रोक:
हम पानी की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। इसकी जांच कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट में पानी पीने योग्य मिला है। अभी आने वाले पानी से टंकियों को भर रहे हैं, लेकिन पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही वितरण करेंगे।
-संदीप सोनी, अपर आयुक्त, नगर निगम
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एक्सपर्ट कमेंट: एक टैंकर से नहीं खराब हो सकता इतना पानी
नदी में पानी लगातार बना हुआ है। एक टैंकर में आने वाले 12 हजार लीटर पानी से इतनी मात्रा में नदी का पानी गंदा होना संभव नहीं है। इसमें कई टैंकर पानी या सीधे प्रदूषित पानी डाला गया है, जिससे नदी का पूरा पानी गंदा हो गया।
– प्रो. संदीप नारूलकर, जल विशेषज्ञ
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