राष्ट्रीय बधिरता निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीटी ) के नोडल अधिकारी डॉ. जफर पठान ने बताया कि इस सुविधा के शुरू हो जाने के बाद कई बच्चों को नई जिंदगियां दी जा सकेंगी। वर्तमान में श्रवण बाधा से बच्चों को राहत दिलाने के लिए कॉकलियर इंप्लांट व अन्य जो इलाज हैं उसे देने में इसलिए परेशानी आती है कि बच्चे काफी लेट डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं। आमतौर पर बच्चा दो या तीन साल का हो जाता है जब माता-पिता को पता चलता है कि यह सुन नहीं पाता। वह सुन नहीं पाता इसलिए बोल भी नहीं पाता। ऐसे में पूरा जीवन विकलांगता में निकालना पड़ता है, लेकिन अगर बच्चे के जन्म के बाद ही कंपलसरी निओनेटल ऑडिटरी स्क्रीनिंग हो जाए तो शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है कि बच्चा श्रवण बाधित तो नहीं है। अगर है तो कितना है ताकि समय पर उसका इलाज शुरू हो सके और कॉकलियर इंप्लांट भी कम उम्र में ही हो जाए, क्योंकि ५ साल बाद बच्चों का इस इंप्लांट सफल नहीं होता है। ऐसे में प्रदेश सरकार से मिले निर्देशों के बाद हमने इस पर काम करना शुरू किया और पीसी सेठी अस्पताल में मशीनें लगा दी गई हैं। यह प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल होगा जहां यह सुविधा हर बच्चे को दी जाएगी। तीसरे दिन बच्चे के डिस्चार्ज होने से पहले जांच कर परिजनों को डिस्चार्ज कार्ड के साथ श्रवण बाधा का जांच सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। इसके बाद इसे धीरे-धीरे अन्य अस्पतालों व पूरे प्रदेश में प्रदेश सरकार शुरू करेगी।
– जल्द होगा औपचारिक शुभारंभ
सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री की पहल पर यह सुविधा शुरू की गई है। जल्द ही इसकी औपचारिक शुरुआत की जाएगी। हालांकि अभी पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में जांचें कर रहे हैं। अभी पीसी सेठी में जन्म लेने वाले बच्चों की यहां कंपलसरी जांच होगी। धीरे-धीरे अन्य अस्पतालों में भी यह सुविधा बढ़ाई जाएगी। इससे बच्चों को एक नई जिंदगी मिलेगी। कारण है कि थोड़ी सी जागरूकता से बच्चे की जिदंगी विकलांगता से बचाई जा सकती है। हम हमारे अस्पतालों की नर्सों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं ताकि वे भविष्य में प्रदेश में कहीं भी रहे तो यह जांच कर सके। डॉ. पठान ने बताया कि नर्सों को प्रेक्टिकल चीजें भी सिखाई जा रही हैं की कैसे पहचान करें कि बच्चा श्रवण बाधित तो नहीं। इस नई तकनीक का उपयोग कई लोगों का जीवन बदलेगा।