Indore News : पटरी पर आई बच्चों की ट्रेन, अब सुनाई देगी छुक-छुक
इंदौर. नेहरू पार्क में अब टॉय ट्रेन की छुक-छुक सुनाई देगी, क्योंकि राजस्थान के भिलवाड़ा से ट्रेन का इंजन और डिब्बे कल रात 2 बजे के आसपास इंदौर आ गए हैं। इंजन और डिब्बों को नेहरू पार्क में बिछाई गई पटरी पर उतार दिया गया है। संभवत: हफ्तेभर में ट्रेन दौडऩे लगेगी। स्मार्ट सिटी कंपनी की लेटलतीफी के चलते पिछले 10 वर्ष से बच्चे ट्रेन चलने का इंतजार कर रहे थे, जबकि ट्रेन चलाने के लिए पटरी बिछाने का सीमेंटेड ट्रैक यानी बेस तैयार हुए लंबा समय हो गया था।
शहर के बीच स्थित नेहरू पार्क में फिर से छुक-छुक की आवाज सुनाई देगी और नए इंद्रपुरी स्टेशन पर ट्रेन पहुंचेगी। स्मार्ट सिटी कंपनी ने राजस्थान के भीलवाड़ा शहर के जिस शंकरलाल कास्ट की कंपनी को ट्रेन की पटरी बिछाने से लेकर इंजन, डिब्बे लगाने और संचालन-संधारण का ठेका दिया है, उसने सीमेंटड ट्रैक यानी बेस पर पटरी बिछाने का काम पिछले दिनों कर दिया था। इसके साथ ही बच्चों की ट्रेन का इंजन और डिब्बे भीलवाड़ा से कल रात को इंदौर आ गए हैं।
स्मार्ट सिटी कंपनी के अफसरों की मानें तो हफ्तेभर में ट्रेन चलने लगेगी। नेहरू पार्क की पटरी पर आई ट्रेन का ट्रायल रन एक-दो दिन में किया जाएगा। सब कुछ ठीक होने पर आमजन और बच्चों के लिए ट्रेन शुरू होगी। ट्रेन के डिब्बे ओपन रहेंगे। हालांकि राजस्थान की जिस कंपनी को ठेका दिया गया है अभी वह अलवर और जयपुर में बच्चों की ट्रेन चला रही है।
50 रुपए रहेगा टिकट ट्रेन में बैठने वाले बच्चों और बड़े लोगों के लिए टिकट दर तय कर दी गई है। 50 रुपए पर व्यक्ति ट्रेन का टिकट रहेगा। इस तय दर से ज्यादा पैसा ठेकेदार नहीं वसूल पाएगा। इससे कम किराया ठेकेदार लोगों से ले सकता है, लेकिन 50 रुपए से ज्यादा नहीं। इसके अलावा बच्चों की ट्रेन में अभी 36 लोग बैंठेगे। लोगों की रुचि को देखते हुए ट्रेन में आगे चलकर और डिब्बे बढ़ाए जाएंगे।
ठेकेदार देगा 88 हजार रुपए साल राजस्थान की जिस कंपनी को बच्चों की ट्रेन स्थापना से लेकर संचालन-संधारण का ठेका दिया गया है वह हर वर्ष 88 हजार रुपए देगा। ट्रैक पर पटरी बिछाने से लेकर डिब्बे लगाने का खर्च कंपनी खुद उठाएगी। संचालन-संधारण ठेकेदार कंपनी 60 महीने तक करेगी।
इंद्रपुरी स्टेशन का काम हुआ पूरा नेहरू पार्क में नई रेल चलाने के हिसाब से नया इंद्रपुरी स्टेशन पुराने के पास ही बनाया गया है। पानी की बौछार उड़ाने के लिए रेल ट्रैक पर 100 मीटर हिस्से में एक वॉल बनाई गई है। इससे पानी की बौछार की आएगी पर कोई गीला नहीं होगा। पहले ट्रैक एक किलोमीटर के आसपास था, लेकिन अब इसे छोटा कर 700 मीटर यानी पौन किलो मीटर कर दिया गया है।
इस कारण बंद हुई थी ट्रेन पार्क में बच्चों की रेल वर्ष 2013 में तकनीकी खामियों और ट्रैक खराब होने कारण बंद हुई थी। बच्चों की ट्रेन चलाने पर संकट के बादल अलग मंडराने लगे थे। इस पर नगर निगम ने फैसला लिया कि बच्चों की ट्रेन फिर से चलाने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी के फंड से काम कराया जाए। इसके बाद स्मार्ट सिटी कंपनी ने बच्चों की ट्रेन शुरू करने को लेकर काम किया, लेकिन इसमें भी काफी समय लग गया।
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