– निजी अस्पतालों को मिलेगा फायदा
जिला अस्पताल में इन दिनों यहां सिर्फ ओपीडी और टीकाकरण केंद्र ही चलाया जा रहा है जबकि मरीजों को भर्ती करना पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। खास बात यह है कि जिला अस्पताल पश्चिम क्षेत्र का एकमात्र सरकारी अस्पताल है जहां दर्जनों कालोनियों के लोग इसी पर निर्भर रहते हैं। विधानसभा एक, चार और राऊ की कई कालोनियों के रहवासी जिला अस्पताल जांच के लिए आते हैं। विधानसभा एक में 230 से अधिक अवैध कालोनियां है जहां गरीब वर्ग के लोग रहते हैं जो पूरी तरह से स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जिला अस्पताल पर ही निर्भर हैं। क्योंकि क्षेत्र में और कोई भी सरकारी अस्पताल नहीं है। ऐसे में जिला अस्पताल की नई इमारत बनने में कम से कम 2 से 3 साल का समय लगेगा और यहां इलाज पूरी तरह बंद हो जाने से मरीजों को निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ेगा। पूर्व में भी अधिकारियों के सामने रहवासियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग रखी जा चुकी है लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
– बिगड़ेंगे केस, लगा रहता है जाम
सिविल सर्जन द्वारा कहा जा रहा है कि हमने मल्हारगंज पॉलिक्लिनिक में व्यवस्था कि है और सीजर की जरूरत पडऩे पर प्रसुता को रैफर करेंगे। आने वाले समय में कोई भी बड़ी घटना घट सकती है जिसमें मां और शिशु की मौत तक हो सकती है। एक ओर सरकार द्वारा मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए बड़े-बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बड़े प्रसूति केंद्र को बंद कर देने से परेशानियां बढ़ा दी गई है जिसका फायदा सीधे-सीधे निजी अस्पतालों को मिलने लगा है। कारण है जिला अस्पताल से एम वाय अस्पताल और पीसी सेठी अस्पताल की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है यहां जाने के लिए जवाहर मार्ग का रुख करना पड़ता है जहां इन दिनों ब्रिज का काम चल रहा है। उधर एमजी रोड पर पूरे दिन जाम लगा रहता है ऐसे में इमरजेंसी में मरीज को यहां से वहां ले जाने में 30 से 40 मिनट का समय लगेगा जबकि आपातकाल में मरीज को तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
– हो सकती है व्यवस्था
उधर विशेषज्ञों का कहना है कि जिला अस्पताल में ही प्रसुताओं को इलाज देने की व्यवस्था आसानी से की जा सकती है क्योंकि यहां कई कमरे और आयुष विभाग के अंदर तीन से चार कमरे खाली हैं। जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा ऐसे में जिला अस्पताल में आने वाली उन प्रसुताओंं जिनकी नॉर्मल डिलेवरी होना है आसानी से जिला अस्पताल में करवाई जा सकती है। साथ ही यहां पास में रैन बसेरा भी बना हुआ है जहां यह व्यवस्था की जा सकती है। यहां डॉक्टर नर्स और सभी संसाधन मौजूद हैं बावजूद इसके अधिकारियों की मनमानी के चलते यह भी पूरी तरह से बंद कर दी गई है । अधिकारी चाहे तो नॉर्मल डिलेवरी की सुविधा देकर सीजर वाले मरीजों को रेफर किया जा सकता है क्योंकि जिस महिला का सीजर करना है उसकी जानकारी पूर्व में ही डॉक्टर को होती है।
– शुरू कर दिया इलाज
हमने जिला अस्पताल में फिर से प्रसुताओं को इलाज देना शुरू कर दिया है। अन्य वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा रही है, जब तक व्यवस्था नहीं होती प्रसुताओं को इलाज देंगे।
डॉ. एमपी शर्मा, सिविल सर्जन
– लेना होगी जिम्मेदारी
किसी भी प्रसुता को इलाज देने से मना करना गलत है। जब तक वैकल्पिक व्यवस्था न हो सुविधा बंद नहीं करना चाहिए। हमे शिकायत मिली इसके बाद उन्हें पत्र लिखा है, कि अगर कोई अप्रिय घटना घटी तो उसकी जिम्मेदारी लेना होगी।
डॉ. प्रवीण जडि़या, सीएमएचओ