scriptसीएमएचओ ने सिविल सर्जन को थमाया नोटिस, अप्रिय घटना हुई तो खैर नहीं | civil surgeon indore dr mp sharma | Patrika News

सीएमएचओ ने सिविल सर्जन को थमाया नोटिस, अप्रिय घटना हुई तो खैर नहीं

locationइंदौरPublished: Dec 23, 2018 10:59:06 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

– जिला अस्पताल में प्रसुता को नहीं मिला इलाज, निजी अस्पताल में रहना पड़ा था निर्भर- अधिकारियों ने मनमानी के चलते बंद कर दी प्रसुति सेवाएं

election news

police,complaint,police remand,accused doctor,porn message,rd gardi medical college,

लखन शर्मा, इंदौर।
जिला अस्पताल की 300 बिस्तरों के नए अस्पताल की इमारत बनाने के लिए इन दिनों यहां मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया है। जिसके बाद मरीजों को निजी अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ रहा है। जबकि दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार नर्सों को टे्रनिंग देकर प्रसुताओं को इलाज दे रही है। चार दिन पहले से यहां प्रसुताओं को भी इलाज देना बंद कर दिया। जिसके बाद २१ दिसंबर को पहुंची एक प्रसुता को इलाज देने से मना कर दिया तो उसे निजी अस्पताल में इलाज करवाने जाना पड़ा। शिकायत कलेक्टर और सीएमएचओ तक पहुंची। इसके बाद सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा ने सिविल सर्जन डॉ. एमपी शर्मा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सीएमएचओ का कहना है कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था न हो पहले की तरह इलाज किया जाए अन्यथा कोई अप्रिय घटना हुई, जनाक्रोश हुआ तो उसकी जिम्मेदारी सिविल सर्जन की होगी। दरअसल जिला अस्प्ताल को तोडऩे की जल्दबाजी में प्रसुताओं की डिलेवरी करवाने के लिए भी जिम्मेदारों ने यहां कोई जगह नहीं रखी। जबकि जिला अस्पताल में ही कई ऐसी जगह खाली हैं जहां नार्मल डिलेवरी वाली प्रसुताओं को इलाज दिया जा सकता है। जिम्मेदार एमवाय अस्पताल और पीसी सेठी अस्पताल के भरोसे हैं। कहना है कि जिला अस्पताल में एम्बुलेंस रहेगी और यहां आने वाली प्रसुताओं को एम्बुलेंस से ले जाया जाएगा। जबकि जिला अस्पताल में हर दिन लगभग 40 प्रसुतियाँ होती है जबकि स्वास्थ्य विभाग के पास सिर्फ एक एम्बुलेंस है वह भी खुद की न होकर दान में मिली हुई है। ऐसे में जिला अस्पताल में आने वाले समय मे मरीजों की भारी फजीहत होगी। जिसका एक बड़ा कारण पश्चिम क्षेत्र में एक भी सरकारी अस्पताल का न होना है।

– निजी अस्पतालों को मिलेगा फायदा
जिला अस्पताल में इन दिनों यहां सिर्फ ओपीडी और टीकाकरण केंद्र ही चलाया जा रहा है जबकि मरीजों को भर्ती करना पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। खास बात यह है कि जिला अस्पताल पश्चिम क्षेत्र का एकमात्र सरकारी अस्पताल है जहां दर्जनों कालोनियों के लोग इसी पर निर्भर रहते हैं। विधानसभा एक, चार और राऊ की कई कालोनियों के रहवासी जिला अस्पताल जांच के लिए आते हैं। विधानसभा एक में 230 से अधिक अवैध कालोनियां है जहां गरीब वर्ग के लोग रहते हैं जो पूरी तरह से स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जिला अस्पताल पर ही निर्भर हैं। क्योंकि क्षेत्र में और कोई भी सरकारी अस्पताल नहीं है। ऐसे में जिला अस्पताल की नई इमारत बनने में कम से कम 2 से 3 साल का समय लगेगा और यहां इलाज पूरी तरह बंद हो जाने से मरीजों को निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ेगा। पूर्व में भी अधिकारियों के सामने रहवासियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग रखी जा चुकी है लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

– बिगड़ेंगे केस, लगा रहता है जाम
सिविल सर्जन द्वारा कहा जा रहा है कि हमने मल्हारगंज पॉलिक्लिनिक में व्यवस्था कि है और सीजर की जरूरत पडऩे पर प्रसुता को रैफर करेंगे। आने वाले समय में कोई भी बड़ी घटना घट सकती है जिसमें मां और शिशु की मौत तक हो सकती है। एक ओर सरकार द्वारा मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए बड़े-बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बड़े प्रसूति केंद्र को बंद कर देने से परेशानियां बढ़ा दी गई है जिसका फायदा सीधे-सीधे निजी अस्पतालों को मिलने लगा है। कारण है जिला अस्पताल से एम वाय अस्पताल और पीसी सेठी अस्पताल की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है यहां जाने के लिए जवाहर मार्ग का रुख करना पड़ता है जहां इन दिनों ब्रिज का काम चल रहा है। उधर एमजी रोड पर पूरे दिन जाम लगा रहता है ऐसे में इमरजेंसी में मरीज को यहां से वहां ले जाने में 30 से 40 मिनट का समय लगेगा जबकि आपातकाल में मरीज को तुरंत इलाज की जरूरत होती है।

– हो सकती है व्यवस्था
उधर विशेषज्ञों का कहना है कि जिला अस्पताल में ही प्रसुताओं को इलाज देने की व्यवस्था आसानी से की जा सकती है क्योंकि यहां कई कमरे और आयुष विभाग के अंदर तीन से चार कमरे खाली हैं। जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा ऐसे में जिला अस्पताल में आने वाली उन प्रसुताओंं जिनकी नॉर्मल डिलेवरी होना है आसानी से जिला अस्पताल में करवाई जा सकती है। साथ ही यहां पास में रैन बसेरा भी बना हुआ है जहां यह व्यवस्था की जा सकती है। यहां डॉक्टर नर्स और सभी संसाधन मौजूद हैं बावजूद इसके अधिकारियों की मनमानी के चलते यह भी पूरी तरह से बंद कर दी गई है । अधिकारी चाहे तो नॉर्मल डिलेवरी की सुविधा देकर सीजर वाले मरीजों को रेफर किया जा सकता है क्योंकि जिस महिला का सीजर करना है उसकी जानकारी पूर्व में ही डॉक्टर को होती है।

– शुरू कर दिया इलाज
हमने जिला अस्पताल में फिर से प्रसुताओं को इलाज देना शुरू कर दिया है। अन्य वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा रही है, जब तक व्यवस्था नहीं होती प्रसुताओं को इलाज देंगे।
डॉ. एमपी शर्मा, सिविल सर्जन

– लेना होगी जिम्मेदारी
किसी भी प्रसुता को इलाज देने से मना करना गलत है। जब तक वैकल्पिक व्यवस्था न हो सुविधा बंद नहीं करना चाहिए। हमे शिकायत मिली इसके बाद उन्हें पत्र लिखा है, कि अगर कोई अप्रिय घटना घटी तो उसकी जिम्मेदारी लेना होगी।
डॉ. प्रवीण जडि़या, सीएमएचओ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो