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42 करोड़ का घोटाला और बच गए 19 अफसर

locationइंदौरPublished: Jun 15, 2019 10:37:34 pm

१९ आबकारी अधिकारियों की जांच बंद, 6 के मामले में फैसला नहीं

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42 करोड़ का घोटाला और बच गए 19 अफसर

इंदौर। आबकारी विभाग में हुए चर्चित 42 करोड़ के आबकारी घोटाले में करीब 2 साल होने को है लेकिन न अब तक पूरी राशि की वसूली हो पाई है और न ही जिम्मेदार अफसरों पर किसी तरह की कार्रवाई तय हो पाई। शुरुआत में जिन छह अफसरों की विभागीय जांच के आदेश हुए थे उसकी रिपोर्ट अफसरों के पास लंबित है। बाद में 19 अफसरों की जांच कराई गई थी लेकिन उन्हें 4 महीने बाद ही क्लीन चिट देकर फाइल को बंद कर दिया है।
विभाग में जिस तरह से तीन साल बाद करोड़ों का घोटाला पकड़ में आया था उसी तरह से जिम्मेदारी तय करने में भी लेट लतीफी चल रही है। अगस्त 2017 में आबकारी विभाग में चल रहे फर्जी चालान का मामला पकड़ाया था। शुरुआत में करीब 21 करोड़ का घोटाला सामने आया लेकिन जब अफसरों ने जांच को आगे बढ़ाया तो पता चला कि उसी साल नहीं वरन इसके पहले के दो साल में भी विभाग को करोड़ों रुपए की चपत लगी है। 3 साल में कुल 42 करोड़ का घोटाला सामने आया तो विभाग ने रावजीबाजार थाने में केस दर्ज कराया। पुलिस ने ठेकेदार सहित 14 लोगों पर केस दर्ज किये लेकिन बाद में यह संख्या बढ़कर करीब 22 हो गई।
घोटाला सामने आने पर आबकारी विभाग ने तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे के साथ ही अन्य छह लोगों को सस्पैंड कर विभागीय जांच के आदेश दिए थे। पुलिस ने भी घोटाले में आबकारी विभाग के अफसरों की भूमिका होने का दावा किया लेकिन अब तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है।
घोटाले के डेढ़ साल बाद करवाई जांच और दे दी क्लीन चिट
फरवरी 2019 में शासन ने आदेश जारी कर घोटाला उजागर होने के करीब डेढ़ साल बाद 11 सहायक आबकारी अधिकारी व 8 आबकारी उपनिरीक्षकों की भी विभागीय जांच के आदेश दिए थे। घोटाले के समय इंदौर में पदस्थ रहने पर जांच में फंसे थे। 5 को छोड़कर बाद में शेष के तबादले भी कर दिए थे। बताते है कि जांच के दौरान इन लोगों ने जो पक्ष रखा उससे संतुष्ट होकर नए अफसरों ने जांच को खत्म कर दिया। किसी पर कार्रवाई नहीं की गई। 19 में सहायक आबकारी अधिकारी किरण सिंह , विनोद खटीक , राजीव प्रसाद द्विवेदी , इंद्रजीतसिंह चौहान , अमरसिंह सिसौदिया , गिरीशप्रताप सिंह सिकरवार , रामहंस पचौरी , सुभाषचंद जोशी , देवेश चतुर्वेदी , बीएल दांगी , संजीवसिंह ठाकुर , आबकारी उप निरीक्षक रेणुका बोरलिया , श्वेता सिंह बास्कले , निधि शर्मा , देवेंद्र चंदेले , जितेंद्रसिंह भदौरिया , देवेंद्रप्रताप सिंह , शिवनारायण सिंगनाथ , आकांक्षा गर्ग शामिल थे जिन्हें राहत मिली।
6 अफसरों के मामले लंबित, दोषी भी माना!
घोटाला उजागर होने के बाद तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, सहायक आबकारी अधिकारी डीएस सिसोदिया, एसएन पाठक, उप निरीक्षक कौशल्या सबनानी, क्लर्क धनराजसिंह व अनमोल गुप्ते को सस्पैंड कर विभागीय जांच के आदेश हुए। 4 महीने बाद सभी बहाल हुए लेकिन जांच धीमी गति से चलती रही। अब जांच पूरी होकर सचिव स्तर के अफसर तक पहुंच गई है। कुछ लोगों को दोषी माना है लेकिन कार्रवाई अभी तक लंबित है। सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे ने माना कि 19 अफसरों की जांच बंद हो गई जबकि शेष के मामले में अभी फैसला नहीं हुआ है।
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