scriptसफाईकर्मी हो या दफ्तर की मेडम, पहनेंगीं एक जैसे कपड़े | Cleaner and officer madam will wear same dress for protest | Patrika News

सफाईकर्मी हो या दफ्तर की मेडम, पहनेंगीं एक जैसे कपड़े

locationइंदौरPublished: Mar 05, 2019 11:35:37 am

Submitted by:

Uttam Rathore

महिला कर्मचारियों में कोई भेदभाव नहीं और नगर निगम कर रहा ड्रेस कोड तय, पैटर्न पर चल रही माथापच्ची

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सफाईकर्मी हो या दफ्तर की मेडम, पहनेंगीं एक जैसे कपड़े

उत्तम राठौर. इंदौर
नगर निगम की महिला टीम अब पूरी तरह से एक ही रंग में होगी। निगम ऑफिस से लेकर आपके घर तक निगम कर्मचारियों की यूनिफॉर्म तय की जा रही है। शहर की सफाई व्यवस्था में लगी महिलाएं और ऑफिस में कार्यरत कर्मचारी अब एक जैसी साड़ी पहनेंगीं। महिला सफाईकर्मियों को एक जैसी साड़ी पहनाने व दफ्तर में बैठने वाली कर्मचारियों को अलग साड़ी के विरोध के चलते यह फैसला लिया है।
निगम स्वास्थ्य विभाग में तैनात स्थायी व मस्टर महिला सफाईकर्मियों का ड्रेस कोड तय किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह ड्रेस कोड लागू किया गया है, ताकि फील्ड में रहकर शहर की सफाई व्यवस्था संभालने वाले निगम के पुरुष व महिला कर्मचारी की पहचान हो सके। पुरुष कर्मचारी को जहां स्काय ब्लू शर्ट व नीली पेंट दी गई, वहीं महिलाओं को नीली साड़ी। इतना ही नहीं, ड्रेस कोड के बगैर सफाई का काम करने आने वाले कर्मचारियों को घर अलग भेज दिया जाता। यूनिफॉर्म पहनकर आने पर ही काम करने दिया जाता, वरना गैरहाजरी लगाकर तनख्वाह काट दी जाती है। इसको लेकर सफाई कर्मचारी नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया।
पिछले दिनों जब स्वच्छता अभियान को लेकर सफाई कामगार संघ के नेताओं के साथ आयुक्त आशीष सिंह ने बैठक रखी, तब उसमें भी ड्रेस कोड का मुद्दा उठा और कर्मचारियों ने महिला सफाईकर्मियों को नीली साड़ी पहनाने का विरोध किया। उनका कहना था कि महिला सफाईकर्मियों को एक जैसी साड़ी पहनाकर समाज में उनकी अलग से पहचान बताई जा रही है। अगर निगम को ड्रेस कोड लागू करना है, तो इनके साथ ही मुख्यालय में लगने वाले ऑफिस में बैठने वाली और जोन पर नियुक्त महिला कर्मचारियों को भी एक जैसी साड़ी क्यों नहीं पहनाई जाती? सभी कर्मचारियों को एक जैसी साड़ी पहनाई जाए।
इस विरोध के चलते निगमायुक्त ने फैसला लिया कि महिला सफाईकर्मी के साथ ऑफिस में बैठने वाली कर्मचारियों के लिए भी ड्रेस कोड लागू होगा। इसके चलते निगम स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभाग के जिम्मेदार अफसर साड़ी का पैटर्न व रंग तय करने में लगे हैं। तय किया जा रहा है कि साड़ी का पैटर्न प्रिंटेड रखना या फिर प्लेन और अन्य डिजाइन। दो-चार पैटर्न तय करने के बाद महापौर को अवगत करवाया जाएगा, ताकि बाद में परेशानी न हो। निगम तकरीबन सात हजार साडिय़ां खरीदेगा।
विरोध हुआ तो घड़ी पहनाई
फील्ड में सफाई करने वाले सफाईकर्मियों से लेकर अफसरों के हाथ में जीपीएस वाली घड़ी बांधी जाने लगी। इसका विरोध सफाईकर्मियों के साथ कामगार नेताओं ने किया। कहना था कि पहले ऑफिस में बैठने वालों को पहनाओ। हर प्रयोग हमसे क्यों शुरू होता है? इस पर निगम अफसर झुक गए व जीपीएस घड़ी सफाईकर्मियों ने बांधना बंद कर दिया। पिछले दिनों निगम में आई जीपीएस घड़ी ऑफिस में बैठने वाले कर्मचारियों को पहनाई जा रही है। इसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश है। मालूम हो कि कर्मचारियों की लोकेशन पता करने के लिए घड़ी पहनाई जा रही है।
जल्द करेंगे टेंडर
निगम अफसरों का कहना है कि साड़ी का पैटर्न और रंग तय हो जाए। इसके लिए दुकानदारों से साडिय़ों के पैटर्न बुलवाए जा रहे हैं। पैटर्न व रंग तय होते ही साड़ी खरीदने के लिए जल्द टेंडर बुलाए जाएंगे।
हटाने पर तत्काल रखने का बनाते दबाव
सफाई के काम में लापरवाही बरतने वाले स्थायी कर्मचारी को जहां निलंबित कर दिया जाता है, वहीं मस्टर कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया जाता। जैसे ही कर्मचारी पर कार्रवाई होती, वैसे ही कामगार नेता सक्रिय हो जाते है। अपनों को वापस नौकरी पर बहाली के लिए और दबाव अलग बनाते हैं। इस पर निगम अफसर कर्मचारी नेताओं के कहने पर हटाए और निलंबित किए कर्मचारियों को वापस रख लेते हैं। निगम के झुकने की वजह शहर की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त रखना है, क्योंकि कर्मचारी के न रखने पर आंदोलन की धमकी देते हैं।
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