Indian Railway : स्वच्छ भारत अभियान को साकार करने के लिए रतलाम मंडल के इंदौर स्टेशन पर अफसरों ने निजी फर्म के साथ ऐसा करार कर लिया, जिससे खुद रेलवे को हर माह वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है। निजी फर्म हर दिन स्टेशन से निकलने वाले कचरे को रिसाइकल सेंटर पर बेच कर कमाई कर रही है, वहीं रेलवे से भी हर माह करीब 1.5 लाख रुपए वसूल कर रही है।
Indian Railway : ‘स्वाहा’ में रेलवे की ‘आहुति’
संजय रजक@इंदौर. 20 जुलाई को महापौर मालिनी गौड़, सांसद शंकर लालवानी और डीआरएम आरएन सुनकर ने इंदौर स्टेशन के कोचिंग डिपो में ठोस कचरा प्रबंधन इकाई का शुभारंभ किया था। तीन माह खत्म बाद 19 अक्टूबर से स्वाहा रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ दो माह का एग्रिमेंट बढ़ाया है। हाल ही में जब न्यूज टुडे ने इस इकाई का जायजा लिया। चारों ओर कचरा पड़ा था। सेंटर के बाहर ही कचरा रखा गया था, जबकि रेलवे ने कंपनी को खुद की जमीन और शेड उपलब्ध करवाए हैं।
2000 किलो कचरे से 60 किलो खाद कंपनी के फाउंडर रोहित जैन ने बताया कि स्टेशन से हर दिन दो हजार किलो कचरा उठता है। इसमें करीब 250 किलो गीला कचरा होता है। इसी कचरे से करीब 60 किलो खाद बनती है। करीब 200 से 250 किलो रिजेक्टेड कचरा नगर निगम को दिया जाता है। करीब 1500 किलो कचरा को अलग-अलग किया जाता है। इसके बाद अलग-अलग रिसाइकल सेंटर को बेचा जाता है।
अन्य कंपनियों से चल रहा विवाद स्वाहा कंपनी और इंदौर रेलवे स्टेशन पर सफाई का काम देख रही अन्य कंपनियों के बीच जमकर विवाद चल रहा है। यह विवाद डीआरएम कार्यालय तक पहुंच गया है। दरअसल सफाई कंपनियां कचरा एकत्रित करते समय खाली प्लास्टिक की बोतलों को अलग निकाल लेती है और बाकी कचरा स्वाहा प्लांट भेजती है। ऐसे में कंपनी को खाली बोतलों से होने वाली कमाई नहीं मिल पाती। कंपनी फाउंडर रोहित ने बताया कि इस मामले में हमने डीआरएम आरएन सुनकर को पत्र लिखा है, जिसमें बताया गया है कि एग्रिमेंट अनुसार पूरा कचरा सेंटर पर नहीं आ रहा है।
रेलवे को हो रहा नुकसान विभागीय जानकारी अनुसार रेलवे ने शुरुआत में कंपनी के साथ तीन माह का करार किया था, एवज में रेलवे ने करीब डेढ़ लाख प्रतिमाह भुगतान किया। इससे पहले स्टेशन और कॉलोनी का कचरा नगर निगम द्वारा उठाया जाता था। रेलवे के तीन खाते नगर निगम में थे। कचरे के लिए रेलवे एक खाते में 45 हजार रुपए प्रति माह और एक खाते में 7500 रुपए प्रतिमाह अदा करता था, जबकि निजी कंपनी स्वाहा को रेलवे हर माह तीन गुना अधिक भुगतान कर रहा है। इससे रेलवे को वित्तीय नुकसान हो रहा है।